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गजब: सरकार ने आकार घटाया, तो भिखारियों ने 1 रुपये के सिक्के का किया बहिष्कार, देखें वीडियो- उल्लेखनीय है कि द्वारिकाधीश पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने हाल ही में यह बयान दिया था कि तीन तलाक का मसला अपने आप खत्म हो जाएगा, अगर मुस्लिमों में चार बीवी रखने पर बैन लग जाए। इस पर अब देवबंद के मुफ्ती तारीक कासमी का कहना है कि सबसे पहले शंकराचार्य को यह मैसेज देना चाहते हैं कि उनकी यानि शंकराचार्य की मालूमात, उनकी जानकारी, उनके मजहब तक सीमित है। वह अपने मजहब के अंदर जो इंवॉल्वमेंट हैं उनके जो आकायिदे हैं और उनके जो पैगामात हैं, वह अपने मजहब के लोगों को ही मजहब से जोड़ने की बातें करें। उनका हालिया बयान एक मजहब के लोगों का दूसरे मजहब से तोड़ने की बात है, फिर मसला आता है तलाक का और चार शादियों का, यह दोनों अलग-अलग चीजें हैं। तलाक का मसला अलग है और चार शादियों का मसला अलग है। चार शादियों के अंदर शरियत ने इजाजत तो दी है, लेकिन जो कंडीशन दी है उसको फॉलो करते हुए इजाजत है और यह जरूरी नहीं, करार दिया गया है कि चार शादियां करना हर आदमी के ऊपर फर्ज है, हर आदमी पर वाजिब है, शंकराचार्य का यह कहना कि चार शादियों को खत्म कर दिया जाए तो 3 तलाक का मामला खत्म हो जाएगा, ऐसा नहीं है। इसलिए तलाक जो पैदा होता है वह मियां-बीवी के दरमियान झगड़े से पैदा होता है। इत्तलाक या झगड़ा होगा तो चार शादियां करने के बाद भी तलाक होगा। इसलिए वे ऐसी बातें ना करें, जिससे हिंदुस्तान के सेकुलरिज्म को और जमुरियत को ठेस पहुंचे।