WhatsApp पर भगवान श्रीराम पर आपत्तिजनक टिप्पणी, हिंदू संगठन के युवाओं का गुस्सा उबाल पर दरअसल योगी सरकार ने प्रदेश में शासन से मदद ले रहे मदरसों की जांच के आदेश दिए थे। सहारनपुर में जब जांच कराई गई तो दर्जनभर फर्जी मदरसे सामने आए। इनमें से कुछ ऐसे थे जो सिर्फ कागजों में ही चल रहे थे तो कुछ ऐसे थे जिनमें तलबा यानी छात्र दिखाकर उनके नाम पर छात्रवृत्ति ली जा रही थी, लेकिन वास्तव में तलबा थे ही नहीं। जांच में फर्जी पाए गए ऐसे मदरसों के लाइसेंस रद्द कर दिए गए हैं और अब तक इन मदरसों ने जितनी सहायता फर्जी तरीके से सरकार से ली है। उसकी रिकवरी के आदेश भी जारी कर दिए गए हैं।
सूबे की योगी सरकार ने सिर्फ़ कागजों में चलाए जा रहे इन मदरसों की जांच कर उन पर लगाम कसी तो देवबन्द के मदरसा जामिया हुसैनिया के मुफ्ती तारीक कासमी ने मुख्यमंत्री के इस निर्णय को सही ठहराते हुए कहा कि मदरसे जो इस्लामिया होते हैं यह पूरी दुनिया में अमन और शांति का पैगाम देने के लिए बनाए जाते हैं। लोगों को इस्लामियत से वाकिफ कराने और इस्लाम पर चलने और पूरी दुनिया में इस्लामी
काम करने के लिए बनाए जाते हैं। जो कागजों में इस तरह के मदरसे चल रहे हैं, जिनकी इमारतें ना हों और जिनमें तलबा ही ना हों तो उनको मदरसा कहना ही बेकार है। मदरसों का मतलब यही है, जिनके अंदर दीनी तालीम दी जाती है लोगों को अच्छाई की तरफ बढ़ाया जाता है, मगर कागजों में चल रहे मदरसे अगर हैं तो उनको बंद ही कर देना चाहिए। मुफ्ती ने कहा है कि योगी सरकार या कोई भी सरकार अगर फर्जीवाड़े के खिलाफ काम करती है तो यह अच्छी बात है।