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सहारनपुर

किसने कहा, मुगल काल में तो हाथ काटे जाते थे, अब तो गोरक्षा के नाम पर गर्दन काटी जा रही है

यूपी के डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा ने कहा था कि मुगल शासक लुटेरे थे, वो हमारे पूर्वज नहीं हैं और अब यही इतिहास लिखा जाएगा।

सहारनपुरSep 15, 2017 / 07:08 pm

Iftekhar

Maulana

देवबंद/सहारनपुर. उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार आने के बाद से लगातार मुस्लिमों और भाजपा सरकार के बीच कटुता बढ़ती जा रही है। मजे की बात ये है कि इस काम में सरकार के मुखिया से लेकर मंत्री और भाजपा के दिग्गज नेता हम भूमिका निभा रहे हैं। ताजा मामला यूपी के डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा का वह बयान है, जिसमें कहा गया था कि मुगल शासक लुटेरे थे, वो हमारे पूर्वज नहीं हैं और अब यही इतिहास लिखा जाएगा। शर्मा के इस बयान ने मुसलमानों के एक बड़े तबके को नाराज कर दिया है। शर्मा के इस बयान पर तीखा हमला करते हुए देवबंदी उलेमाओं ने कहा कि मुगलों के शासन काल में तो सिर्फ हाथ काटे जाते थे, मगर इनके राज में तो गौरक्षा के नाम पर गर्दनें काटी जा रही है।

Maulana
 

यह है मामला
आपको बतादें कि जौनपुर में अमर शहीद उमानाथ सिंह की श्रद्धांजलि सभा में भाग लेने के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा ने कहा था कि मुगल शासक लुटेरे थे, वो हमारे पूर्वज नहीं हैं और अब यही इतिहास लिखा जाएगा। शर्मा के इस बयान पर पलटवार करते हुए मौलाना अब्दुल लतीफ कासमी ने कहा कि हमारे डिप्टी सीएम शायद यह नहीं जानते है कि हमारे हिन्दुस्तान पर हिन्दुस्तानियों ने एक दिन भी हुकूमत नहीं की। यह इतिहास है हिन्दुस्तान में आर्य आए और उन्होंने भी हिन्दुस्तान पर राज किया। चाहे इसमें ठाकुर हो, मुगल हो, पठान हो या मंगोलियन और ये सभी बहार से आए थे। अगर वो लुटेरे थे तो यह भी लुटेरे हैं। भारत के जो राजा-महाराजा थे वो भारत के नहीं थे, बल्कि दलित समाज ही सिर्फ भारत का मूल निवासी है। बाकी सब बाहर के आए हुए हैं।
अगर डिप्टी सीएम इंसाफ की बात करते हैं तो दलितों को भारत की बागडोर दे देनी चाहिए। 950 साल मुगल भारत में रहे, जब तक उन्होंने भारत पर हुकूमत की, सबको एक नज़र से देखा। उनकी हुकूमत में कभी कोई जुल्म ज्यादती नहीं हुई। वो भारत में लेकर तो आये पर भारत से कभी कुछ लेकर नहीं गए, क्योंकि वह कभी भारत से गए ही नहीं। मुगल लुटेरे तब कहलाते है अगर वह भी अंग्रेज़ों की तरह लाल किले से हीरे ज्वाहरात लेकर चले जाते।
इतिहास न जानने की वजह से डिप्टी सीएम ने यह गलत बयान दे दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि पढ़े-लिखे और जो इतिहास जानते हो ऐसे लोगों को ही डिप्टी सीएम बनाया जाना चाहिए। मुगल शासन काल में तो हाथ ही काटी जाती थी। मगर इनकी सरकार में तो गौरक्षा के नाम पर लोगों की गर्दनें काटी जा रही है। वो उन्हें नज़र नहीं आ रहा है।
मुफ्ती मेहंदी हसन ने कहा है कि यह बात वो लोग कह रहे है, जिनकी सरकार में पिछले 2-3 महीनों में ढाई सौ से ज्यादा बच्चे बेमौत मारे गए हैं। उन्हें उनकी फिक्र नहीं है। डिप्टी सीएम को अगर यह लग रहा है कि मुगल शासक चोर थे तो उनके द्वारा बनाई गई इमारतों से जो कमाई की जा रही है उस कमाई को बंद कर दीजिए, क्योंकि वह भारत की सबसे बड़ी टूरिस्ट जगह है। भारत की उनसे ही दूसरे मुल्कों में पहचान होती है।
मुगलों ने ही लाल किला, जामा मस्जिद, ताजमहल बनवाया था। अगर मुगलों से एतराज है तो इन सब इमारतों को भारत से निकाल दीजिए। डिप्टी सीएम के इस बयान से तो यह साफ हो गया कि उन्हीं के जरिए अपनी पहचान बनाएंगे और जिस थाली में खाएंगे उसी में छेद करेंगे। सरकार का मतलब यह नहीं है कि आप कुछ भी करने लगे ठीक है। आप इतिहास का पाठ्यक्रम अपने हिसाब से बनाइए ये आने वाले 2022 में देख लिया जाएगा, जो पाठ्यक्रम चलेगा कि नहीं चलेगा।
उन्होंने कहा कि मेरा डिप्टी सीएम से सवाल है कि जो पाठ्यक्रम आप बनाने जा रहे है, वो सेक्यूलर देश का होगा या फिर जिसका आप पिछले 100 साल से ख्वाब दिखा रहे है, उसका होगा। कहीं ऐसा तो नहीं है कि हिन्दू राष्ट्र बनाने की यह पहली कड़ी का हिस्सा है। यह सब बेकार की बात है और पिछले दिनों जो सरकार की किरकिरी हुई है, रेल हादसा, गोरखपुर हादसा और फर्रूखाबाद में जो हादसा हुआ उन सब से जनता का ध्यान हटाने के लिए यह मुद्दा खड़ा किया जा रहा है।

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