सोनिया गांधी से बातचीत के बाद निर्देश यह दिशा-निर्देश कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा विरोधी पार्टियों के शासन वाले सात राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के द्वारा की गई एक मीटिंग के बाद दिए गए। इसमें नीट- जे.ई.ई. परीक्षाओं के अलावा अन्य साझे हितों के मुद्दे विचारे गए, जिनमें जी.एस.टी. मुआवज़े के जारी होने में देरी, केंद्र सरकार द्वारा कृषि अध्यादेश और नई शिक्षा नीति शामिल थी। कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि यह नीति राज्यों के साथ विचार-विमर्श किए बिना उन पर थोपी गई है।
लाखों विद्यार्थियों की जान को खतरा संभव कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने नीट- जे.ई.ई. परीक्षा सम्बन्धी दिए गए एक सुझाव के जवाब में कहा कि इस मुद्दे पर बातचीत करने के लिए प्रधानमंत्री से समय लेने का समय अब नहीं है। सभी को इकठ्ठा होकर यह परीक्षा आगे करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाना चाहिए, क्योंकि इन परीक्षाओं के साथ लाखों विद्यार्थियों की जान को ख़तरा हो सकता है। उन्होंने आगे कहा कि समूची दुनिया में परीक्षाएं ऑनलाइन ढंग से ली जा रही हैं और यह सुझाव दिया कि नीट – जे.ई.ई. और अन्य पेशे से जुड़ीं परीक्षाएं जैसे कि मेडिकल और कानून, ऑनलाइन ढंग से करवाई जा सकती हैं और इसलिए विद्यार्थियों की जान को खतरे में डालने की कोई ज़रूरत नहीं है।
जी.एस.टी. 7000 करोड़ रुपये केन्द्र नहीं दे रहा मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र 31 मार्च, 2020 के बाद जी.एस.टी. 7000 करोड़ रुपए की राशि बनती है, जिसके न मिलने के कारण कोविड संकट के चलते पंजाब को मुश्किल स्थिति में डाल दिया। कोविड का संख्या राज्य में 44000 पार कर गया है और 1178 मौतें हुई हैं। कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा, ‘‘अगर भारत सरकार हमें हमारा जी.एस.टी. मुआवज़ा नहीं देती तो वह हमसे कैसे काम करने की उम्मीद कर सकते हैं।’’ उन्होंने कहा कि राज्य अपने आप प्रबंधन नहीं कर सकते और केंद्र की सहायता की ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि पंजाब को कोविड के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय के पास से दो किस्तों में 102 करोड़ रुपए प्राप्त हुए हैं और 31 करोड़ रुपए की तीसरी किस्त अभी बाकाया पड़ी है। राज्य को पहली तिमाही में 21 प्रतिशत का राजस्व घाटा पड़ा है और मौजूदा वित्तीय वर्ष के बाकी रहते 9 महीनों के दौरान नुकसान की दर 28.9 प्रतिशत रहने के अनुमान हैं। उन्होंने कहा कि कोविड के मद्देनजऱ राजस्व घाटे के कारण भारत सरकार ने किसी भी राजस्व घाटे के लिए अनुदान की इजाज़त नहीं दी, जिससे लगता है कि केंद्र को राज्यों की समस्याओं में कोई भी रुचि नहीं है।