शासकीय भूमि पर दे दिया लाभ जांच में पाया गया कि 82 हितग्राही ऐसे थे जिनके द्वारा शासकीय भूमि में आवास बनाए गए हैं। जबकि प्रधानमंत्री आवास योजना के बीएलसी घटक के तहत केवल निजी पट्टे पर भी आवास दिया जा सकता है। हैरत की बात तो यह है कि खुद हितग्राहियों ने अपने शपथ पत्र में यह लिखकर दिया है कि वे शासकीय भूमि में कच्चा मकान बना कर रह रहे हैं और इसी में आवास का निर्माण करेंगे। इसके बाद भी इन्हें बीएलसी घटक से आवास स्वीकृत कर इन्हें योजना का लाभ दे दिया गया और आनन फानन में इनके खाते में एक-एक लाख रुपये डाल दिए गए।
दूसरे के पट्टे पर स्वीकृत किया आवास
जांच में यह तथ्य सामने आया कि यहां दूसरे के पट्टे की भूमि पर योजना का लाभ दिया गया है। 34 हितग्राही जांच में ऐसे पाए गए हैं जिनके द्वारा केवल शपथ पत्र (विक्रय पत्र) लगाकर अन्य व्यक्ति के नाम के पट्टे की जमीन पर आवास निर्माण किया गया है। हकीकत यह है कि ये सभी पट्टे बाणसागर बांध के डूब प्रभावित विस्थापित लोगों को नामजद दिए गए थे। जिसमें यह स्पष्ट लिखा गया था कि यह पट्टा बेचा नहीं जा सकता है। यह पट्टा केवल उत्तराधिकारी को हस्तांतरित किया जा सकता है। जबकि बीएलसी घटक के तहत केवल उन्ही को आवास दिया जा सकता है जिसके स्वंय के नाम पर भूमि हो।
जमीन कहीं आवास कहीं 54 हितग्राही ऐसे पाए गए हैं जिन्हें जिस भूमि पर शासन से आवास स्वीकृत हुआ था उस भूमि पर आवास न बना कर किसी अन्य के पट्टे की जमीन पर आवास बना लिया। जबकि योजना का लाभ निजी पट्टे की आराजी के लिये होता है और जहां के लिये आवास स्वीकृत होता है वहीं पर आवास बनाया जा सकता है।
पक्के मकानों पर दिया योजना का लाभ
16 हितग्राही ऐसे पाए गए हैं, जिनके पहले से एक हजार वर्ग फीट या उससे ज्यादा के एरिया में पक्के आवास बने हैं। ऐसे लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी के तहत अपात्र माना जाता है।
इस तरह हुआ खेल तत्कालीन सीएमओ रमेश सिंह यादव ने प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए अप्रूवल, निरीक्षण के काम से शासकीय उपयंत्री के स्थान पर कन्सल्टेंट अभिषेक पटेल को यह काम सौंपा और इसके बाद भी उपयंत्री से इसमें किसी प्रकार की टीप नहीं ली गई। प्रथम किस्त का भुगतान भी निकाय के उपयंत्री की टीप के बिना कन्सल्टेंट एवं वार्ड प्रभारी जो मस्टर श्रमिक की अनुशंसा के आधार पर कर दिया। हैरतअंगेज तथ्य यह भी सामने आया कि अनुमोदन के पहले पात्रता निर्धारण सूची तैयार करने का जिम्मा इन्हीं मस्टर श्रमिक वार्ड प्रभारियों को दिया गया था। फर्जीवाड़े में कंसल्टेंट अभिषेक पटेल पात्र हितग्राहियों के साथ अपात्रों के नाम भी एमआइएस में फीड करा दिए। डीपीआर बनाने के लिए तत्कालीन सीएमओ रमेश सिंह यादव और अध्यक्ष रामसुशील पटेल ने 15 मस्टर कर्मचारियों को फील्ड कार्य के लिये संलग्र किया था।
यह हुआ फर्जीवाड़ा
जांच में पाया गया कि तत्कालीन सीएमओ रमेश सिंह यादव, नगर परिषद अध्यक्ष रामसुशील पटेल, कंसल्टेंट अभिषेक पटेल, वार्ड प्रभारी (वार्ड 1 से 15 तक) ने 164 अपात्र हितग्राहियों के खाते में नियम विरुद्ध तरीके से 1 लाख रुपए डाले और 164 लाख का फर्जीवाड़ा किया। इसी तरह से तत्कालीन सीएमओ अमर सिंह व नगर परिषद अध्यक्ष रामसुशील पटेल व कंन्सल्टेंट ने 20 अपात्रों को 20 लाख रुपये की राशि देकर शासकीय धन का दुरुपयोग किया। इस तरह से यहां 184 लाख रुपये का फर्जीवाड़ा किया गया।
“मामले में मैं कोई जानकारी नहीं दे सकता हूं। पूरी जानकारी कलेक्टर को प्रस्तुत की जा चुकी है। 184 हितग्राहियों के मामले में गड़बड़ी मिली है : देवरत्नम सोनी, सीएमओ“