आयकर अधिनियम के सामान्य भुगतान नियम का हवाला देते हुए गल्ला व्यापारी नकद भुगतान करने से मना कर देते थे। अब उनका कोई भी बहाना नहीं चलेगा। आयकर नियम 1961 की धाराओं के तहत किसानों को कृषि उपज पर दो लाख तक अधिकतम 1,99,999 नकद भुगतान पर पूरी छूट है। यह भुगतान मिलने पर किसानों को उनका पैन कार्ड या फार्म नंबर 6 भेजने की कोई जरूरत नहीं है।
नोटबंदी लागू होने के बाद मंडियों में उसी दिन नकद भुगतान की व्यवस्था बंद हो गई थी। आयकर का हवाला देकर व्यापारी किसानों को 10 हजार से अधिक का भुगतान आरटीजीएस के माध्यम से खाते में करते थे। इससे विंध्य की सबसे बड़ी सतना मंडी में अनाज की आवक कम हो गई थी। मंडी सूत्रों का कहना है कि दो लाख तक नकद भुगतान अनिवार्य होने से एक बार फिर किसान मंडी का रुख करेंगे। इससे किसान एवं मंडी दोनों को लाभ होगा।