नायब तहसीलदार और तहसीलदारों के सामूहिक हड़ताल पर जाने से राजस्व न्यायालयों की पेशियां बढ़ा दी गईं। इसमें लगभग डेढ़ हजार पक्षकार प्रभावित हुए। जाति प्रमाण-पत्र, आरक्षण से संबंधित सर्टिफिकेट, चुनाव संबंधी सर्वे, पीएम किसान योजना सहित अन्य राजस्व कामकाज बुरी तरह प्रभावित हुए है। सामूहिक अवकाश का पहला दिन होने से काफी संख्या में लोग तहसील कार्यालयों में पहुंचे लेकिननिराश लौटना पड़ा।
– नायब तहसीलदार व तहसीलदारों को सालों से पदोन्नतियां नहीं मिल रही हैं। कई तहसीलदार व डिप्टी कलेक्टर सेवानिवृत्त हो चुके हैं। संघ ने तत्काल पदोन्नति का रास्ता खोलने की मांग की है।
– मानवीय संसाधनों के अलावा कम्प्यूटर ऑपरेटर, लिपिक, भृत्य, चौकीदार, भवन, फर्नीचर, नियमित मासिक बजट की कमी है। किसानों के प्रकरणों को समय पर निपटाने में दिक्कतें आती हैं। उन्हें परेशान होना पड़ता है।
– राजस्व अधिकारी 24 घंटे काम कर रहे हैं। फिर भी एक महीने का अतिरिक्त वेतन नहीं मिल रहा। साप्ताहिक अवकाश की सुविधा भी नहीं है। मानसिक तनाव से पूरा परिवार प्रभावित हो रहा है।
– मई-जून में ट्रांसफर करने थे, जो अभी तक किए जा रहे हैं। इसके कारण परिवार अस्त-व्यस्त हो रहा है, सरकार को इसकी चिंता नही है।
– वेतन विसंगति की स्थिति है। मसलन नायब तहसीलदार व परियोजना अधिकारी महिला बाल विकास का मूल वेतन एक है। लेकिन पदोन्नति के बाद परियोजना अधिकारी का मूल वेतन नायब तहसीलदार से ज्यादा हो जाता है। यही स्थिति तहसीलदार व जनपद सीईओ की है। पदोन्नति के बाद जनपद सीईओ को प्रथम श्रेणी का वेतनमान मिलता है जबकि तहसलीदार को द्वितीय श्रेणी का।
– तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों का वेतन अन्य राज्यों के समान किया जाए। राजस्व के अतिरिक्त अन्य विभागों के काम के लिये पृथक से मानदेय दिया जाए।
– नायब तहसीलदारों को राजपत्रित घोषित किया जाए एवं उन्हें वाहन सुविधा प्रदान की जाए।