गांव के जानकारों ने बताया कि शंकर दयाल त्रिपाठी ने राजनीति का ककहरा गांव से ही सीखा है। छात्र जीवन से ही राजनीतिक गतिविधियों में शामिल होकर गांव के विकास की हर पल बात किया करते थे। दस्यू प्रभावित क्षेत्र होने के ज्यादातर जनप्रतिनिधि क्षेत्र में ध्यान नहीं देते थे इसलिए गांव आज भी पिछड़ा पन का दंश झेल रहा है।
शंकर दयाल त्रिपाठी के भाई जय नारायण त्रिपाठी ने बताया कि भैया कॉलेज के दिनों में ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ गए है। इस दौरान वे कॉलेज के कई पदों पर रहे। इसके बाद युवा मोर्चा में जिला उपाध्यक्ष और बिरसिंहपुर मंडल के दो बार मंडल रह चुके है। इसके बाद भाजपा के पंचायत एवं ग्रामीण विकास के अध्यक्ष और अभी तीन माह पहले प्रदेश में पंचायत एवं ग्रामीण विकास का सह संयोजक बनाया गया था।
भाजपा सूत्रों की मानें तो शंकर दयाल त्रिपाठी बिरसिंहपुर मंडल अध्यक्ष के पद पर रहते हुए कई बार मुरली मनोहर जोशी से मिल चुके है। जब तत्कालीन यूपीए-1-2 में मुरली मनोहर जोशी सीबीसी के अध्यक्ष थे तो कई बार क्षेत्र के विकास के मुददों पर चर्चा की थी है। वह भाजपा और संघ से करीब 28 वर्षों से जुड़े हुए है।
बता दें कि शंकर दयाल त्रिपाठी के पिता शासकीय शिक्षक थे। वे डबल एमए और 6 बहनों और 2 भाइयों में सबसे लाडले थे। इनके परिवार में एक बेटा और एक बेटी है। इनके भाई देवरा ग्राम पंचायत के पूर्व सरपंच भी रह चुके है।