वरिष्ठ नेता भी हैं नाराज अंदरखाने से मिली जानकारी के अनुसार त्रिपाठी से पार्टी के वरिष्ठ नेता भी नाराज हैं। दरअसल, मैहर विधानसभा सीट से विधायक त्रिपाठी पिछले एक माह से विंध्य प्रदेश बनाने की मांग को लेकर क्षेत्रीय नेताओं को जोड़ने की कवायद कर रहे हैं। इसी सिलसिले में उन्होंने पिछले सप्ताह बैठक बुलाई थी। जिसमें विंध्य प्रदेश के गठन को लेकर रणनीति बनाई गई थी। सूत्रों का कहना है कि नारायण त्रिपाठी विंध्य क्षेत्र की मांग को लेकर एक बड़ा आंदोलन करने की तैयारी में हैं।
हाल ही में नारायण त्रिपाठी ने कहा था कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयीजी छोटे राज्यों के पक्षधर थे। लिहाजा विंध्य प्रदेश बनना चाहिए। उन्होंने कहा था कि एमपी का विभाजन होगा और विंध्य प्रदेश बनेगा। उनका कहना है कि विंध्य की अब तक उपेक्षा होती रही है इसलिए उसे अलग प्रदेश बनना जरूरी है।
यह आई नारायण की सफाई उधर इस मामले में नारायण की सफाई भी सोशल मीडिया के माध्यम से सामने आई है। जिसमे कहा गया है, किसी को दृगभ्रमित होने की जरूरत नहीं। मेरी मुलाकात प्रदेश अध्यक्ष व्ही डी शर्मा से हुई है वे हम सब के मुखिया है उनके आदेश सर्वमान्य होंगे। रही बात विन्ध्य की लड़ाई की तो यह तबतक अनवरत जारी रहेगी जबतक मुकाम हासिल नहीं होता। नारायण त्रिपाठी ने कहा कि जो भी त्याग बलिदान विंध्य प्रदेश बनाने में करना पडेगा वे तैयार है उन्होंने कहा मेरा सबकुछ विंध्य को समर्पित है।
सुर्खियों में रहे हैं नारायण त्रिपाठी नारायण त्रिपाठी बीते एक साल से सुर्खियों में हैं। विधानसभा सत्र में नारायण त्रिपाठी और शरद कोल ने कमलनाथ सरकार के समर्थन में वोटिंग की थी। इसके बाद भी वो लगातार कमलनाथ सरकार में सुर्खियों में रहे।
लंबे समय से उठ रही है मांग
बता दें कि बीते छह दशकों से मध्यप्रदेश में पृथक विंध्य राज्य की मांग उठ रही है। 1 नवंबर 1956 में जब मप्र का गठन हुआ, तब यह मांग सामने आई थी। मप्र विधानसभा के अध्यक्ष एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे श्रीनिवास तिवारी भी इस मांग के पक्ष में थे। उन्होंने उप्र व मप्र के बघेलखंड व बुंदेलखंड को मिलाकर नया राज्य बनाने की मांग उठाई थी