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सतना

Chhath Puja 2018: 4 दिन चलने वाले पर्व का 11 नवंबर से आगाज, नहाए-खाए से शुरू होकर सुबह के अर्घ्य से होगा समाप्त

सूर्य को माना गया है सभी ग्रहों का राजा, अर्घ्य देने से मिलते है कई प्रकार के स्वास्थ्य लाभ, ये विधि अपनाएं

सतनाNov 10, 2018 / 05:34 pm

suresh mishra

Chhath Puja 2018: Chhath Puja kaise ki jati hai

Chhath Puja 2018: Chhath Puja kaise ki jati hai

सतना। मध्यप्रदेश के सतना जिले में बिरला रोड स्थित संतोषी माता तालाब में छठ का त्योहार बड़ी सिद्धत के साथ मनाया जाता है। हालांकि छठ पूजा पर्व बिहारियों का मुख्य त्योहार है। ये बिहार के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल और झारखंड के कुछ हिस्सों मनाया जाता है। इसके साथ ही बिहारी जिन राज्यों में निवास करते है वहां पर छठ पूजा विशेष रूप से की जाती है।
मैहर के ज्योतिषाचार्य पं. मोहनलाल द्विवेदी के अनुसार मंगलवार, 13 नवंबर को कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी है। इस दिन छठ पूजा का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है और सूर्य देव की विशेष पूजा की जाती है। ज्योतिष में सूर्य को सभी ग्रहों का राजा माना गया है। इसलिए अगर सूर्य की नियमित आराधना और नियमित रूप से अघ्र्य दिया जाए तो कई लाभ मिल सकते हैं।
चार दिन चलता है त्योहार
11 नवंबर से शुरू हो रहा छठ पूजा का महापर्व 4 दिन तक मनाया जाता है। यह बिहार राज्य के प्रमुख त्योहारों में से एक है। छठ पूजा के चार दिवसीय अनुष्ठान में पहले दिन नहाय-खाए, दूसरे दिन खरना और तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य की पूजा और चौथे दिन उगते हुए सूर्य को अघ्र्य देते हैं।
इस दिन करें ये कार्य
इस बार नहाए-खाए 11 नवंबर को, खरना 12 नवंबर को, सांझ का अर्घ्य 13 नवंबर को और सुबह का अघ्र्य 14 नवंबर को है। नहाए-खाए के दिन महिलाएं और पुरुष नदियों में स्नान करते हैं। इस दिन चावल, चने की दाल इत्यादि बनाए जाते हैं। इस दिन विशेष रूप से कद्दू की सब्जी और पकवान बनाए जाते हैं इसलिए इस दिन को कदुआ भात भी कहते हैं।
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इस विधि से सूर्य को दें अर्घ्य
1- पंडि़तों की मानें तो सूर्य भगवान को प्रसन्न करने के लिए रोजाना सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद सूर्य को जल चढ़ाएं।
2- जल चढ़ाने के लिए तांबे के लोटे का ही उपयोग करें, क्योंकि तांबा सूर्य की धातु है।
3- जल में चावल, रोली, फूल पत्तियां (यदि गुलाब की हो तो सर्वश्रेष्ठ है) भी डाल लेना चाहिए।
4- इसके बाद जल चढ़ाते समय गायत्री मंत्र का जाप करें।
5- गायत्री के साथ ही सूर्यदेव के 12 नाम वाले मंत्र का जाप कर सकते हैं।
सूर्य को जल चढ़ाने से मिलते हैं ये स्वास्थ्य लाभ
1- सूर्य को अर्घ्य देते समय पानी की जो धारा जमीन पर गिर रही है, उस धारा से सूर्यदेव के दर्शन करना चाहिए। इससे आंखों की रोशनी तेज होती है।
2- अर्घ्य देने के बाद जमीन पर गिरे पानी को अपने मस्तक पर लगाना चाहिए। सूयज़् को जल चढ़ाने के सुबह जल्दी उठना चाहिए। जल्दी उठने से स्वास्थ्य ठीक रहता है।
3- दिनभर काम करने के लिए समय ज्यादा मिलता है। जल चढ़ाने के लिए घर से बाहर जाना पड़ता है। ऐसे में सुबह-सुबह के वातावरण का लाभ सेहत को मिलता है।
ये 12 नाम का मंत्र
मंत्र
आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर, दिवाकर नमस्तुभ्यं, प्रभाकर नमोस्तुते।
सप्ताश्वरथमारूढ़ं प्रचंडं कश्यपात्मजम्, श्वेतपद्यधरं देव तं सूयज़्प्रणाम्यहम्।।

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