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सतना

MP हाउसिंग बोर्ड: आवासीय भवनों का व्यावसायिक उपयोग, बोर्ड को लगा रहे चपत

शासन को वित्तीय हानि, गंभीर नहीं जिम्मेदार अधिकारी

सतनाOct 20, 2019 / 04:14 pm

suresh mishra

Commercial use of residential buildings in satna

Commercial use of residential buildings in satna

सतना/ शहर में आवासीय भवनों का व्यावसायिक धड़ल्ले से किया जा रहा। एमपी हाउसिंग बोर्ड के आवासीय भवनों के बेजा तरीके से व्यावसायिक इस्तेमाल पर जिम्मेदार अधिकारी चुप्पी साधे बैठे हैं। इससे मंडल को लाखों की वित्तीय हानि हो रही है। जबकि, मार्च 2019 में आयुक्त म.प्र. गृह निर्माण एवं अधोसंरचना विकास मंडल मुख्यालय भोपाल ने ऐसे सभी भवनों का सर्वे पूरा कर सूची 30 अप्रेल तक भेजने को कहा था। यहां ईई हाउसिंग बोर्ड केएल अहिरवार सफाई देते हैं कि एक ही काम नहीं रहता कि इस पर कार्रवाई की जाए।
मध्य प्रदेश गृह निर्माण एवं अधोसंरचना विकास मंडल ने नगर निगम क्षेत्र में बांधवगढ़ कॉलोनी, नवरंग पार्क कॉलोनी, मंदाकिनी विहार कॉलोनी, दीनदयाल पुरम कॉलोनी, शारदा कॉलोनी एवं भरहुत नगर कॉलोनी सहित अन्य कॉलोनी बनाई है। उनके भवन हितग्राहियों को लीज पर आवंटित किए गए हैं। आवंटन शर्तों के अनुसार भवनों का आवंटन जिस प्रयोजन के लिए किया गया है उसमें मंडल के सक्षम अधिकारी की अनुमति के बिना परिवर्तन नहीं किया जा सकता। लेकिन, यहां कई भवन स्वामी बगैर सक्षम अधिकारी से अनुमति प्राप्त किए आवासीय भवनों को व्यावसायिक रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे मंडल को प्रतिवर्ष लीज रेंट में काफी नुकसान हो रहा है।
मुख्यालय ने तलब की थी सर्वे रिपोर्ट
मध्यप्रदेश गृह निर्माण एवं अधोसंरचना विकास मंडल मुख्यालय भोपाल से आयुक्त करलिन खोगवार ने 26 मार्च 2019 को पत्र क्रमांक 490 जारी किया गया था। यह पत्र मुख्य रूप से उपायुक्त, संपदा अधिकारी एवं कार्यपालन यंत्रियों को संबोधित था। मंडल द्वारा आवंटित आवासीय संपत्तियों के व्यवसायिक उपयोग से संबंधित पत्र में आर्थिक क्षति होने का उल्लेख करते हुए संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया गया था कि आवासीय संपत्ति का व्यवसायिक उपयोग करने वाले आवंटियों का सर्वे टीम गठित कर कराया जाए। सर्वे सूची मुख्यालय भोपाल भेजी जाए। इस काम के लिए 30 अप्रैल 2019 तक की टाइम लिमिट दी गई थी, लेकिन सूत्रों की मानें तो स्थानीय अधिकारियों ने शीर्ष स्तरीय इस पत्र को गंभीरता से लिया ही नहीं लिहाजा सर्वे का काम आरंभ ही नहीं हुआ।
एक ही काम नहीं
मामले में हाउसिंग बोर्ड के ईई केएल अहिरवार से बात की गई तो उन्होंने कहा, सर्वे किया गया है और लगभग डेढ़ आवासीय भवनों में व्यावसायिक इस्तेमाल पाया गया है। इन पर कोई कार्रवाई नहीं होने के संबंध में उन्होंने कहा कि हमारे पास एक ही काम थोड़ी है। कार्रवाई के लिए समय नहीं मिल पाता। साथ ही पुलिस और अन्य सहयोग नहीं मिलने की बात कहते हुए पल्ला झाड़ लिया। आवासीय और व्यावसायिक लीज रेंट दरों के अंतर पर भी चुप्पी साध गए।
इस तरह हुआ खेल
हाउसिंग बोर्ड निर्मित सबसे पुरानी बांधवगढ़ कॉलोनी है। वर्ष 1976-77 में 100 एलआईजी योजना के नाम से यह कॉलोनी बनी थी। आज इस कॉलोनी के कई भवनों में व्यावसायिक इस्तेमाल हो रहा। इनमें जिम, रेस्टोरेंट, कोचिंग सेंटर, ट्यूशन क्लास, दूध डेयरी, आइसक्रीम पार्लर, बुटीक, ब्यूटी पार्लर, किराना दुकान, आटा चक्की, लेडीज गारमेंट एवं घरेलू साज-सज्जा सामान सहित अन्य कारोबार संचालित हैं। कुछ घर ऐसे भी हैं जहां गोपनीय तरीके से कारखाने चल रहे हैं। भरहुत नगर में भी कई आवासीय भवनों का व्यावसायिक इस्तेमाल हो रहा है।
निगम और बिजली कंपनी को भी नुकसान
आवासीय परिसर का व्यावसायिक इस्तेमाल किए जाने से नगर निगम और बिजली कंपनी को भी आर्थिक क्षति हो रही है। कई हितग्राही जो बिना अनुमति आवासीय भवन का व्यावसायिक इस्तेमाल कर रहे हैं वे नगर निगम को व्यावसायिक दर पर संपत्ति कर देने की बजाय आवासीय दर पर संपत्ति कर का भुगतान कर रहे। घरेलू बिजली कनेक्शन का इस्तेमाल भी व्यावसायिक तौर पर किया जा रहा है। इससे बिजली कंपनी को आर्थिक क्षति हो रही है।
मूक दर्शक बना मैदानी अमला
आवासीय क्षेत्र में व्यावसायिक गतिविधियों के संचालन के लिए एमपी हाउसिंग बोर्ड, नगर पालिक निगम, बिजली कंपनी, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सहित अन्य संबंधित विभागों की अनुमति अनिवार्य है। इनमें से कुछ विभागों में फील्ड स्टाफ भी उपलब्ध है, लेकिन मैदानी अमला मूक दर्शक बना है।
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