900 कार्यों के लिए प्रभारी मंत्री ने किया था अनुमोदन
विभिन्न विभागों की मांग पर प्राथमिकता के लगभग 900 कामों के लिए प्रभारी मंत्री के अनुमोदन के बाद कलेक्टर ने करोड़ों रुपये जारी किए थे। हालात यह थे कि स्वास्थ्य महकमे को बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के लिए मुंह मांगी राशि जारी की गई। अकेले जिला अस्पताल को 4 करोड़ रुपये के लगभग जारी कर दिए गए।
ग्रामीण सेवाओं पर दिए थे ढाई करोड़ ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं के लिए ढाई करोड़ रुपये सीएमएचओ को दे दिए गए। फर्नीचर खरीदने के लिए स्कूल शिक्षा विभाग को दो करोड़ के लगभग की राशि जारी की गई। केचुआ खाद को बढ़ावा देने के लिए वर्मी कम्पोस्ट किट के लिए 6 करोड़ रुपये जारी कर दिए गए। इसमें से फर्नीचर और वर्मी कम्पोस्ट में तो व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार सामने आ चुका है और सामान्य सम्मेलन की बैठक के बाद वर्मी कम्पोस्ट घोटाले की जांच भी शुरू है। लेकिन स्वास्थ्य महकमे में कितने उपकरण खरीदे गए और कितने का उपयोग किया जा रहा है, इसकी जानकारी देने वाला कोई नहीं।
600 काम कलेक्टे्रट की अनदेखी से लटके
विभागों से जिस तरीके की जानकारी सामने आ रही है, उसमें लगभग 600 काम दूसरी किस्त के अभाव में लंबित पड़े हुए हैं। इसके संबंध में फाइल खनिज विभाग को दी जा चुकी है, जहां से बताया जा रहा है कि नस्ती कलेक्टर कार्यालय में लंबित है। वहां से जैसे ही नस्तियों को हरी झंडी मिलती है तो चेक जारी कर दिए जाएंगे।
गड़बड़झाले के कारण साकेत ने बना ली थी दूरी खनिज प्रतिष्ठान मद के कामों में जिस तरीके के गड़बड़झाले हो रहे थे और उसमें व्यापक अनियमितताएं कार्य स्वीकृति के साथ ही नजर आने लगी थीं। इसको देखते हुए तत्कालीन जिपं सीईओ साकेत मालवीय ने इस व्यवस्था को जिला पंचायत से अलग करते हुए खनिज विभाग को देने के लिए टीप लिखी थी। इसके बाद से मामला जिला पंचायत से हट कर खनिज विभाग में चला गया है।