अतिथि शिक्षक उर्मिला साकेत, संगीता शुक्ला, अंजना द्विवेदी, प्रियंका तिवारी व अन्य ने बताया कि जिले के ज्यादातर स्कूल अतिथि शिक्षकों के भरोसे चल रहे हैं। यहां का परीक्षा परिणाम भी बेहतर है। इसके बावजूद सरकार नियमित नहीं कर रही है। उनका कहना है कि अतिथि शिक्षकों के साथ व्यवहार भी अच्छा नहीं किया जाता है। कई स्कूलों के प्राचार्य समय पर वेतन तक नहीं जारी करते हैं। इतना सहन करने के बाद भी हम कम वेतन पर काम करने को मजबूर हैं, पर सरकार हमारी ओर ध्यान नहीं देती।
१३८६ पद खाली, मझगवां में सबसे ज्यादा
सतना में १९०३ अतिथि शिक्षक स्कूलों में पढ़ा रहे हैं। जबकि, १३८६ पद खाली हैं। सबसे ज्यादा खराब स्थिति मझगवां ब्लॉक की है। यहां सर्वाधिक ३५० पद रिक्त हैं। जबकि, मैहर में २२९, रामपुर बाघेलान में १९०, रामनगर में १५६, नागौद में १४१, उचेहरा में १३० और सोहावल में ९२ तथा अमरपाटन में ९८ पद रिक्त हैं। इसके बावजूद स्कूलों में अतिथि शिक्षक नियुक्त नहीं किए जा रहे। जबकि, कोरोना के कारण करीब डेढ़ साल से बंद स्कूल भी शुरू हो चुके हैं।
बाहरी को मौका दे रहे
अतिथि शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष रविशंकर दहायत ने बताया कि विगत 15 वर्ष से शासकीय विद्यालय में बहुत ही अल्प मानदेय 5000, 7000 तथा 9000 रुपए पर काम करते हुए अतिथि शिक्षक बच्चों का भविष्य संवार रहे हैं। शिक्षक बनने की सभी अर्हताएं भी अतिथियों के पास हैं। इसके बावजूद उनके साथ भेदभाव किया जाता है। शिक्षक भर्ती में सरकार द्वारा अतिथि शिक्षक को कोई वेटेज नहीं दिया गया। इससे अन्य राज्यों के व्यक्तियों का चयन हो गया। उन्होंने मांग की है कि वर्तमान में कार्यरत अतिथि शिक्षकों को नियमित किया जाए।