जलस्त्रोतों में जहरीला पदार्थ मिलाकर या फिर करंट का जाल बिछाकर शिकारियों ने बड़ी आसानी से कई दफे बाघ व अन्य वन्यजीवों का आसानी से शिकार कर लिया। इस तरह की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए वन विभाग ने लाखों की लागत से ट्रैप कैमरे खरीदे ताकि जंगल में होने वाली हर गतिविधि पर पैनी नजर रखी जा सके। लेकिन, निगरानी रखने वाली तीसरी आंख पांच माह से दूसरे वन मंडल में धूल फांक रही है।
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5 माह से निगरानी नहीं
मझगवां रेंज में बाघों की सुरक्षा इन दिनों भगवान भरोसे है। कारण, पगमार्कों को ट्रैस करने के लिए लगाए जाने वाले ट्रैप कैमरे सीधी ने नहीं लौटाए हैं। जब से ट्रैप कैमरे सीधी भेजे गए, तबसे मझगवां के जंगलों में निगरानी की व्यवस्था ठप है। दिसंबर से रेंज के किसी भी वन बीट में ट्रैप कैमरे लगाकर बाघों व अन्य वन्यजीवों की स्थिति का पता नहीं लगाया जा सका। सिर्फ रेडियो कॉलर वाली बाघिन को ट्रेस कर बाघों की सुरक्षा कर रहा है। रेंजर मझगवां पंकज दुबे ने कहा कि बाघ गणना के लिए गए 50 ट्रैप कैमरे सीधी से नहीं मिल पाए हैं। एक-दो दिन में आ जाएंगे।