ग्रामीणों ने बताया कि पिछले कई दिनों से लोग उल्टी-दस्त के शिकार हो रहे थे। 5 सितंबर को शिवानी (6) पिता जुगल किशोर, अभिराज (18 माह) पिता अमरजीत कोल, श्रेया पिता ब्रजेश कोल (2), कार्तिका पिता रोहित (18 माह), शुभ पिता सुंदर (3) की हालत गंभीर हो गई। उन्हें सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया था। परिजनों ने गांव में डायरिया के प्रकोप की जानकारी चिकित्सकों को दी थी। लेकिन, सीएचसी के चिकित्सकों ने जिला मुख्यालय को न सूचना दी और न गांव पहुंचे।
शुक्रवार को दो मौत के बाद बीमारी नियंत्रण को लेकर भी बड़ी लापरवाही सामने आई। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र उचेहरा से महज एक चिकित्सक को दो-तीन कर्मचारियों के साथ श्यामनगर भेजा गया। वह सिर्फ खानापूर्ति कर लौट आया। चिकित्सक से दो दर्जन से अधिक ग्रामीणों ने पेट दर्द और घबराहट की शिकायत दर्ज कराई थी। उन्हें दवाइयां तक नहीं दी गई केवल ओआरएस के पैकट पकड़ दिए गए।
उचेहरा विकासखंड के पिपरीकला गांव में शुक्रवार को आपके द्वार कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इसमें सीएमएचओ डॉ अशोक कुमार अवधिया, बीएमओ डॉ एके राय दिनभर व्यस्त रहे। दो मौत और एक दर्जन से अधिक मासूमों की हालत गंभीर होने के बाद भी जिम्मेदारों ने प्रभावित गांव जाना जरूरी नहीं समझा। महज एक चिकित्सक भेजकर बीमारी नियंत्रण की खानापूर्ति की गई। जिला मुख्यालय से रैपिड एक्शन टीम नहीं भेजी गई। बीमारी नियंत्रण में भी हददर्जे की लापरवाही बरती गई।
सीएचसी नागौद में दाखिल मासूमों के इलाज में भी लापरवाही सामने आई। पीडि़त मासूमों को अस्पताल में पलंग तो दूर बेड तक नहीं दिया गया था। वार्ड के बाहर गैलरी की जमीन पर बैठाकर इलाज कराया जा रहा था। महिलाओं की गोद में मासूमों को लिटाकर ड्रिप लगाई गई थी।
डीएचओ डॉ चरण सिंह ने बताया कि बीमारी की वजह पता करने के लिए गांव से उल्टी-दस्त और पानी के सैंपल बुलाए गए हैं। उनका जिला अस्पताल स्थित नैदानिक केंद्र में कल्चर परीक्षण किया जाएगा। कुलगढ़ी के मेडिकल ऑफिसर को श्यामनगर नाइट विजिट करने के निर्देश दिए हैं। जिलास्तरीय रैपिड एक्शन टीम को अलर्ट मोड पर रखा गया है। आउट ब्रेक की सूचना मिलते ही टीम को गांव के लिए रवाना कर दिया जाएगा।
श्यामनगर के नागेंद्र नगर मोहल्ले में आदिवासी वर्ग के लोग निवास करते हैं। मोहल्ले में पेयजल का इकलौता साधन कुआं है। पांच हैंडपंप महीनों से बंद हैं। ग्रामीण मजबूरी में कुएं का पानी पी रहे थे। स्वास्थ्य विभाग और पीएचई द्वारा कुएं में दवा भी नहीं डाली गई थी। यही प्रदूषित पानी पीने से दो दर्जन से अधिक लोग डायरिया के शिकार हो गए।
डॉ. अशोक कुमार अवधिया, सीएमएचओ