सीताराम पेट्रोल पंप के सामने हाइवे का दक्षिणी हिस्सा विगत तीन माह से यातायात के लिये अवरुद्ध है। रीवा की ओर से आने वाले वाहन इस स्थल से रांग साइट में चलने को मजबूर हो जाते है। पहले कलेक्टर के निर्देश पर एनएचएआई के अधिकारियों ने यहां सुधार करवाया लेकिन काम इतना घटिया रहा कि पूरा काम कीचड़ में तब्दील हो गया। लिहाजा यहां से वाहनों ने गुजरना बंद कर दिया। कलेक्टर से शिकायत होने पर जब दोबारा एनएच के अधिकारियों को चेताया गया तो फिर वहीं खानापूर्ति का काम किया गया। लेकिन हालात जस के तस रहे। इसके बाद जब यातायात की स्थितियां नहीं बनी तो इस मार्ग को हाइवे के अधिकारियों ने पूरी तरह से बंद कराते हुए सिंगल लेन से वाहन गुजारने लगे। लेकिन कुछ सौ मीटर का सुधार कार्य वे दो माह में भी नहीं करवा सके।
एक तो हाइवे में आने और जाने वाले वाहनों का पूरा लोड इसके ब्लैक टॉप एरिया (सीसी हिस्से) में है। लेकिन यहां की जो पटरी है उसे बस संचालकों ने अपनी पार्किंग बना लिया है। दिन भर यहां बसे पार्क होने से पटरी का इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है। लिहाजा पैदल राहगीर को भी इसी सीसी हिस्से में चलना पड़ रहा है। वहीं जब कभी दोनों ओर के वाहनों का दबाव बनता है तो पटरी खाली न होने से जाम की स्थिति भी बन जाती है। इसी दौरान यहां हादसों की आशंका बलवती हो जाती है। गुरुवार को दोपहर बाद बीटीआई गेट के सामने रामशेष गौतम हादसे का शिकार हो गए। सीसी रोड में वाहनों की रेलमपेल होने की वजब से वे अपनी बाइक पटरी से लेकर जा रहे थे। आगे बस खड़ी होने से उन्होंने पटरी से रोड में बाइक चढ़ाई लेकिन तीखे किनारों से बाइक बहक गई और सामने से आ रहे ऑटो से टक्कर हो गई। घायल होने पर उन्हें जिला अस्पताल ले जाया गया। इस तरह की घटनाएं रोज हो रही है।
शहर के अंदर हाइवे का जो पैचवर्क किया जा रहा है उसमें जमकर खानापूर्ति की जा रही है। पैच के नाम पर महज डामर पोता जा रहा है। कई स्थानों पर तो ठंडा डामर कर गड्ढों को काला कर दिया गया है लेकिन समतल नहीं किया गया है। फ्लाईओवर के ठीक आगे सड़क पूरी तरह से खराब है। वी-वीनस के सामने भी पैचवर्क सही नहीं किया गया है। खेरमाई नाले के पास सड़क पर पैचवर्क की खानापूर्ति है। कुल मिलाकर पैचवर्क की निगरानी न होने से ठेकेदार जैसा काम कर रहा है उससे अभी भी आवागमन सुगम नहीं हो सका है।
शहर में विभागीय अधिकारी ठेकेदारों पर किस कदर मेहरबान रहते हैं इसका उदाहरण शहर के मुख्य मार्गों में आसानी से देखा जा सकता है। यहां के ठेकेदार सड़क पर खुदाई करने के बाद गायब हो जाते हैं और अधिकारी चुप्पी साधे बैठे रहते हैं। हालात यह रहते हैं कि ठेकेदारों की गठजोड़ के कारण अधिकारी मौन रहते हैं। कुछ ऐसी ही स्थिति हाइवे के कुछ सौ मीटर के काम को लेकर हो गई है। भले ही शहर का यातायात बेपटरी रहा आए।