जिले में हास्यास्पद निराकरण सीएम हेल्प लाइन में की गई इस शिकायत का निराकरण जिम्मेदार अधिकारी किस तरह से करते हैं यह भी हास्यास्पद है। निराकरण में लिखा गया है कि छात्रवृत्ति की राशि संबंधित छात्रा के खाते में सीधे भारत शासन से जारी की जाती है। अत: शिकायत निराकरण योग्य है। अधिकारी को इससे मतलब नहीं है कि छात्रा को राशि मिली है या नहीं। पत्र लिख दिये और शिकायत को नस्तीबद्ध योग्य बता दिया जाता है। सैकड़ों शिकायतों के निराकरण में इस तरह की टिप्पणी सतना जिले में देखने को मिलेगी। यही वजह है कि इस तरह के निराकरण के लिये लंबित तमाम मामले सीएम हेल्पलाइन में चार साल से ज्यादा समय से लंबित है।
सीएम पर भरोसा कर दर्ज कराते हैं शिकायतें लोग सीएम हेल्प लाइन में इस आशा से अपनी समस्या दर्ज करवाते हैं कि उनकी समस्या सीधे मुख्यमंत्री की निगरानी वाले पोर्टल में दर्ज हो रही है तो उसका निराकरण हो जाएगा। लेकिन जिले में लगभग 10 शिकायतें ऐसी हैं जिनका निराकरण 4 साल से ज्यादा होने के बाद भी नहीं हो सका है। इसकी बड़ी वजह यह है कि जिम्मेदारों ने शिकायतकर्ता की शिकायत के निराकरण के उचित प्रयास न कर खानापूर्ति कर निराकरण करवाना चाहा। लिहाजा अभी भी लोगों की समस्याओं का हल नहीं हो सका है।
इन शिकायतों का निराकरण 4 साल बाद भी नहीं जिले की सबसे ज्यादा समय से लंबित शिकायतों की स्थिति देखें तो इनमें शिकायत क्रमांक 4050614(मुआवजा नहीं मिलने संबंधी) 1661 दिन से, 4195065(छात्रवृत्ति नहीं मिलने संबंधी) 1647 दिन से, 4279536(फसल बीमा का लाभ नहीं मिलना) 1634 दिन से, 4485843(फसल बीमा का लाभ न मिलना) 1597 दिन से, 4494264(क्रमोन्नति वेतनमान न मिलने संबंधी) 1594 दिन से, 4936585(छात्रवृत्ति न मिलने संबंधी) 1523 दिन से, शिकायत क्रमांक 4946339(छात्रवृत्ति न मिलने संबंधी) 1521 दिन से, 5053191(व्यवस्थाओं में कमी संबंधी) 1504 दिन से और शिकायत क्रमांक 5062584(स्कालरशिप नहीं मिलने संबंधी) का निराकरण 1502 दिनों से लंबित है। लेकिन विभागीय अधिकारी अभी तक इनका निराकरण नहीं करवा सके।
पत्र लिख दिया और काम खत्म ज्यादातर शिकायतों के निराकरण में देखेंगे तो पाया जाएगा कि जिम्मेदार अधिकारी शिकायतों के निराकरण की जगह पत्राचार की खानापूर्ति करते नजर आएंगे। मसलन छात्रवृत्ति का निराकरण जहां होना है वहां संबंधित अधिकारियों से छात्रवृत्ति खाते में प्रदान करवाने की कार्यवाही न करवा के पत्र लिख कर छात्रवृत्ति मिलना मान शिकायत बंद कराने की बात कह देते हैं। इसी तरह से क्रमोन्नति के मामले में संबंधित संस्था को पत्र लिख कर निराकरण मान लिया। यह नहीं देखा कि संबंधित को क्रमोन्नति का लाभ मिला या नहीं। यही वजह है कि शिकायतों का निराकरण नहीं हो पा रहा है।
कलेक्टर कर रहे सख्ती हालांकि नवागत कलेक्टर अनुराग वर्मा सीएम हेल्पलाइन को लेकर गंभीर हैं लेकिन 11 हजार की संख्या में लंबित शिकायतों का निराकरण उनके लिए भी चुनौती से कम नहीं है। अब तक दर्जन भर से ज्यादा अधिकारियों का वे वेतन रोक चुके हैं तो कइयों पर जुर्माना भी लगाया जा चुका है। निराकरण में गति तो आई है लेकिन अभी भी काफी काम बाकी है।