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सतना

दो साल में डाली सिर्फ 90 किलोमीटर सीवर लाइन, एक साल में कैसे बिछाएंगे 405 किमी!

यह कैसा ‘अमृत’: रेस्टोरेशन में भी कंपनी कर रही मनमानी, शहर की सड़कें जर्जर, जनता हलाकान

सतनाJul 05, 2019 / 09:08 pm

suresh mishra

sewer line project in satna sewer line kyo banai jati hai

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सतना। शहर में अमृत योजना के तहत 206 करोड़ के सीवर लाइन प्रोजेक्ट की गति कछुआ चाल से भी धीमी है। अनुबंध की शर्तों के अनुसार, ठेका एजेंसी कंपनी केके स्पन प्रइवेट लिमि. को तीन साल (36 माह) में 495 किमी सीवर लाइन डालनी थी, लेकिन दो साल का समय बीत चुका है और अभी तक मात्र 90 किमी सीवर लाइन डालने का कार्य किया गया है, जो कुल कार्य का मात्र 18 फीसदी है।
123 मीटर प्रतिदिन की गति से हो रहा कार्य
ठेका एजेंसी ने शहर में सीवर लाइन डालने का कार्य जून 2017 में प्रारंभ किया था। 31 जून 2019 की स्थिति यानी 730 दिन में ठेकेदार ने शहर में 495 किमर कार्य के मुकाबले कुल 90 किमी सीवर लाइन डाली है, जो कार्य का मात्र 18 फीसदी है। ठेका एजेंसी प्रतिदिन 123 मीटर की औसत गति से पाइप लाइन डाल रही है, यदि आगे भी इसी गति से कार्य हुआ तो 405 किमी सीवर लाइन का कार्य पूरा करने में कंपनी को दस साल का वक्त लगेगा।
कार्रवाई के बाद भी कार्य में तेजी नहीं
टेंडर रेट से कम पर सीवर प्रोजेक्ट का ठेका लेने वाली दिल्ली की केके स्पन कंपनी शुरू से ही विवादों में रही है। गुणवत्ताविहीन काम और कार्य की धीमी गति को देखते हुए पूर्व निगमायुक्त प्रतिभा पाल ने सीवर लाइन के कार्य पर रोक लगा दी थी। वहीं पूर्व निगमायुक्त प्रवीण सिंह ने नवंबर 2018 में सीवर लाइन के कार्य की समीक्षा करते हुए कार्य की धीमी प्रगति पर कार्रवाई करते हुए ठेका एजेंसी पर 3 करोड़ का जुर्माना अधिरोपित किया था। कार्रवाई के समय ठेका एजेंसी ने शहर में कुल 47 किमी सीवर लाइन ही डाली थी। निगम प्रशासन की सख्ती के बाद सीवर लाइन के निर्माण कार्य में तेजी की उम्मीद लगाई जा रही थी, लेकिन न तो कार्य की गुणवत्ता में सुधार आया और न की कार्य की गति बढ़ी। इसका अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि बीते सात माह में ठेकेदार ने मात्र 40 किमी सीवर लाइन डाली है।
इंजीनियर मेहरबान
ठेका एजेंसी द्वारा बेतरतीब तथा गुणवत्ताहीन किए जा रहे निर्माण कार्य ने शहर की जनता को परेशान कर दिया है। ठेका कर्मचारी बीच सड़क में नाला खोदकर सीवर लाइन डाल देते हैं, लेकिन कार्य पूरा होने के महीनों बाद भी सड़क का रेस्टोरेशन नहीं किया जाता। इससे शहर की सड़कें जर्जर हो गई हैं। सीवर लाइन के गड्ढों में फंसकर प्रतिदिन कोई न कोई वाहन क्षतिग्रस्त हो रहा है। सीवर लाइन का अधूरा कार्य बारिश में जनता के लिए मुसीबत बन गया है। ठेका एजेंसी द्वारा निर्माण कार्य पूरा होने के बाद भी सड़कों की मरम्मत नहीं की जा रही। जिससे बरसात में लोगों का राह चलना मुश्किल हो गया है। एक ओर शहर की जनता सीवर लाइन के घटिया निर्माण कार्य से परेशान हैं तो वहीं निगम के इंजीनियर ठेकेदार पर मेहरबान नजर आ रहे हैं।
एमआइसी ने निर्माण कार्य बंद कराने शासन को भेजा प्रस्ताव
सीवर लाइन के कार्य की धीमी प्रगति और गुणवत्ताहीन कार्य से नाराज एमआईसी ने दो माह पूर्व सीवरलाइन के निर्माण कार्य पर रोक लगाने तथा प्रोजेक्ट का कार्य किसी नई एजेंसी को देने का प्रस्ताव पास कर स्वीकृति के लिए राज्य सरकार को भेज चुकी है। महापौर ममता पाण्डेय का कहना है कि ठेका एजेंंसी द्वारा सीवर लाइन का कार्य प्राक्कलन के अनुसार नहीं किया जा रहा है। सीवर लाइन डालने के बाद टूटी हुई सड़कों की मरम्मत महीनों नहीं की जाती। कांक्रीट की जगह सड़क में मिट्टी डाली जा रही है। जिसमें वाहन फंसने से आए दिन लोग घायल हो रहे हैं। निगम प्रशासन को घटिया निर्माण कार्य कर रहे ठेकेदार का भुगतान रोक देना चाहिए।

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