गुरुवार को दोपहर 1.10 बजे आरटीओ दफ्तर पहुंचे तो परिवहन अधिकारी प्रतीक्षा कक्ष में मोटर विक्रेताओं के साथ बैठक कर रहे थे। एजेंटों की चहल पहल बुधवार से कम थी। लेकिन उनका आना जाना लगा था। एक एजेंट से ड्रायविंग लाइसेंस बनवाने की जानकारी ली तो उसने कहा बन जाएगा। बाहर दुकान में चलिए सब वहीं से होगा। एजेंट के साथ दुकान पहुंचे तो उसने पूछा किस वाहन का लाइसेंस बनवाना है। हमने बताया मोटर सायकिल का उसने कहा इसके साथ हल्के चर पहिया का भी बनेगा। मैने पूछा कितने पैसे लगेगे। उसने बताया 3500 रुपए लगेगे। 2000 अभी 1500 रूपए परमानेंट बनवाने से पहले। मैने पूछा टेस्ट भी देना होगा इस पर एजेंट बोला आप को कुछ नहीं करना बस साथ में चल कर फोटो खिचवानी होगी। दो दिन बाद आना इसी दुकान में लार्निंग लाइसेंस मिल जाएगा।
25 से 45 सौ में बनवाने का ठेका
परिवहन विभाग द्वारा हल्के चार पहिया वाहनों का ड्रायविंग लाइसेंस शुल्क लगभग 1300 और हैवी वाहनों का 17 सौ रूपए निर्धानित है। लेकिन आरटीओ दफ्तर में परिवहन विभाग के नियम कायदे नहीं चलते। यहां लाइसेंस के लिए आने वालों को ड्रायविंग लाइसेंस बनवाने के लिए 25 से 45 सौ रूपए तक खर्च करने पड़ते हैं। जो परिवहन विभाग द्वारा निर्धारित शुक्ल का दो से तीन गुना अधिक है। आरटीओ कार्यालय के सूत्रों ने बताया की दलाल एक लाइसेस बनावने में कम से कम एक हजार रूपए की कमाई करते हैं।
बिना दलाल नहीं होता काम
ड्रायविंग लाइसेंस लेने आए अमित शुक्ला ने बताया यहां बिना एजेंट कोई काम नहीं होता, इसलिए दलाल को पैसा देना मजबूरी है। मैने एक माह पूर्व स्वयं आनलाइन आवेदन करने के बाद आरटीओ दफ्तर में फाइल जमा की थी। कर्मचारियों ने टेस्ट में फेल कर फाइल लौटा दी। इससे आनलाइन जमा की गई शुल्क भी डूब गई। इस बार एजेंट से काम कराया तो बिना टेस्ट दिए ही लाइसेंस मिल गया। रमेश प्रजापति ने बताया की वह नागौद से हैवी वाहन का लाइसेंस बनवाने आया हैं। उसने कहा मेरे मित्र ने बिना दलाल काम कराने की कोशिश की थी। तो कर्मचारी ड्रायविंग टेस्ट के लिए दिनभर दफ्तर में बैठाए रहे। अंत में दलाल से जुगाड़ लगाया तो 15 मिनट में काम हो गया। इसलिए अब मैं आरटीओ का हर काम एजेंट से ही कराता हूं।