सामान्य प्रशासन विभाग ने ई-ऑफिस व्यवस्था लागू करने के लिए कलेक्टर को जारी निर्देशों में कहा कि विभागाध्यक्षों एवं जिला कार्यालयों में कार्रवाई त्वरित किए जाने के लिए आधुनिक तकनीकि का उपयोग किए जाने के उद्देश्य से मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बैठक आयोजित की गई। इसमें ई-ऑफिस कार्यप्रणाली लागू किये जाने का निर्णय लिया गया है। इसके अनुरूप सभी आवश्यक तैयारियां प्रारंभ कर दी जाएं। इसके लिए संभाग और जिला कार्यालय में ई-ऑफिस व्यवस्था लागू करने की समय सीमा 31 दिसंबर दी गई है। अभी नस्तियों का परिचालन भौतिक रूप से किया जाता है। जो डाक व्यवस्था के तहत होती है। इसमें समय, श्रम और खर्च सभी ज्यादा होता है। जब ई-ऑफिस व्यवस्था लागू हो जाएगी तो फाइलें इलेक्ट्रानिक ट्रांसफर व्यवस्था के तहत बढ़ेंगी। साथ ही कोई फाइल दबाकर नहीं रखी जा सकेगी न ही उसे छिपाया जा सकेगा। क्योंकि सभी फाइलों के इलेक्टॉनिक रिकार्ड मौजूद रहेंगे।
यह है ई-ऑफिस व्यवस्था
ई-आफिस व्यवस्था में फाइलें कम्प्यूटर में ही तैयार की जाएंगी। हर अधिकारी का डिजिटल हस्ताक्षर होगा। जैसे ही किसी अधिकारी या शाखा में फाइल भेजी जाएगी उस कम्यूटर पर अलग मार्क दिखने लगेगा। जब अधिकारी उसे खोलकर डिजिटल हस्ताक्षर कर देगा तो मार्क का रंग बदल जाएगा। अलग हस्ताक्षर नहीं करेगा, तो यह भी पता चलेगा कि कब से फाइल संबंधित के पास अटकी हुई है। इस पूरी व्यवस्था की निगरानी डैश बोर्ड के माध्यम से होगी। इस डैशबोर्ड की निगरानी विभाग से लेकर कलेक्टर तक आसानी से कर सकेंगे। इससे पता चल सकेगा कि कौन सी फाइल कहां अटकी है और कहां फाइल निराकरण में विलंब किया जा रहा है।
अफसरों को ई-दक्ष बनाने के निर्देश ई-ऑफिस व्यवस्था लागू करने से पहले अधिकारियों कर्मचारियों को ई-दक्ष बनाने की प्रक्रिया शासन द्वारा शुरू की जा चुकी है। डिप्टी कलेक्टर, तहसीलदार स्तर के अधिकारियों को राजधानी में नरोन्हा अकादमी में प्रशिक्षण दिया जा चुका है। साथ ही अन्य अधिकारियों और लिपकीय स्टाफ को प्रशिक्षण देने जिला स्तर पर ई-दक्ष केन्द्र खोला गया है। जिले में कलेक्टर कार्यालय के 50 फीसदी लिपिकों को यह प्रशिक्षण भी दिया जा चुका है। ऐसे में माना जा रहा है कि अगर कोई बड़ा मामला नहीं फंसा तो इस बार ई-ऑफिस व्यवस्था लागू हो जाएगी।