समितियों में खाद नहीं उधर सहकारी समितियों में भी खाद उपलब्ध नहीं है। समितियों का पुराना 17 करोड़ का बकाया होने से मार्कफेड ने उन्हें खाद देने से हाथ खड़े कर दिये हैं। ऐसे में गांवों में भी यूरिया की उपलब्धता नहीं है। मौजूद हालात में डबल-लॉक में ही खाद आसानी से उपलब्ध है। लिहाजा ग्रामीण क्षेत्रों से खाद लेने के लिये किसान डबललॉक केन्द्रों में पहुंच रहे हैं और यहां लाइन लगनी शुरू हो गई है।
नगद बिक्री हो सकता है हल उधर किसानों का कहना है कि अगर समितियों का पुराना बकाया है लिहाजा ऐसी स्थिति में प्रशासन समितियों से खाद की नगद बिक्री की व्यवस्था करें। इससे किसानों को अनावश्यक खाद लेने के लिये इधर उधर नहीं भटकना पड़ेगा और डबल लॉक केन्द्रों में मारामारी भी नहीं होगी।