गेहूं की बोनी के समय से अगले महीने तक किसान को यूरिया की आवश्यकता होती है। समय पर खाद नहीं मिलने से खेती पर असर पड़ता है। लेकिन जिले में यूरिया खाद की उपलब्धता मांग की विरुद्ध काफी कम है। नतीजा यह है कि सरकारी सेक्टर में यूरिया राशनिंग सिस्टम से दिया जा रहा है। डबल लॉक केन्द्र में यूरिया का वितरण अघोषित तौर पर एक किसान को तीन बोरी ही दे रहे हैं। हालांकि कृषि विभाग इससे इंकार कर रहा है लेकिन किसान इस बात पर अड़े हैं। बहरहाल यह तो जमीनी स्थिति है लेकिन कृषि विभाग के आंकड़ों को ही देखें तो वही जिले में यूरिया की कमी की ओर चीख-चीख कर इशारा कर रहे हैं।
मिली जानकारी के अनुसार सतना जिले में यूरिया की 35 हजार टन की आवश्यकता का लक्ष्य तय किया गया है। जिसके विरुद्ध 29 नवंबर की स्थिति में जिले में 12100 टन यूरिया खाद उपलब्ध है। जो कि आधे से भी कम है। इस उपलब्ध खाद में से किसानों के लिये महज 9184 टन यूरिया ही वितरित हो सका है। इससे स्पष्ट हो रहा है कि जिले में यूरिया की उपलब्धता आवश्यकता से काफी कम है।
जिले में खाद का ज्यादातर उठाव समितियों के माध्यम से होता है। किसानों के लिये समितियों से खाद लेना काफी सहज होता है और उन्हें ज्यादा दूरी भी तय नहीं करनी पड़ती। लेकिन सहकारी समितियों को यूरिया की स्थिति देखे तो इनका लक्ष्य 24500 टन है जिसके विरुद्ध एक तिहाई अर्थात 7123 टन यूरिया ही उपलब्ध कराया जा सका है। इसमें से 5 हजार टन ही वितरित हो सका है। अंदाजा लगाया जा सकता है कि खाद की सरकारी सप्लाई की स्थिति कितनी खराब है।
निजी सेक्टर में खाद की स्थिति तो देखे तो यहां सरकारी से बेहतर है लेकिन लक्ष्य से काफी कम है। निजी सेक्टर में खाद का लक्ष्य 10500 टन रखा गया है। जिसके विरुद्ध आधे के लगभग 4977 टन खाद भण्डारित है और इसमें से 3886 टन खाद वितरित की गई है।
उधर यूरिया संकट को देखते हुए कृषि विभाग पूरी तरह से सक्रिय हो गया है। संचालक मुकेश शुक्ला ने बताया कि यूरिया वितरण को लेकर शिकायत होने पर प्रदेश स्तर पर शिकायत दर्ज करने की व्यवस्था तय की गई है। इसके लिये 0755-2558823 पर शिकायत दर्ज कराई जा सकती है।
प्रशासन की लापरवाही से कमी: कांग्रेस