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सतना

लक्ष्य की आधी भी नहीं यूरिया, सतना से बेहतर स्थिति में रीवा

सहकारी समितियों में तो नाम की उपलब्धता , किसान हो रहा परेशान
 

सतनाDec 04, 2019 / 01:31 am

Ramashankar Sharma

Urea not even half of the target, Rewa in better condition than Satna

Urea not even half of the target, Rewa in better condition than Satna

सतना. गेहूं की बोनी का सीजन चल रहा है और किसानों को इस वक्त यूरिया की आवश्यकता है। लेकिन किसानों को यूरिया आसानी से आवश्यकतानुसार नहीं मिल पा रहा है। हालात यह है कि डबल लॉक केन्द्र में भी एक किसान को तीन बोरी यूरिया ही दी जा रही है। जिले में यूरिया की स्थिति अगर देखी जाए तो जिले को 35 हजार टन यूरिया की आवश्यकता है जिसके विरुद्ध जिले में आधे से भी कम यूरिया मौजूद है। जबकि संभाग में यूरिया की उपलब्धता पर अगर गौर करें तो रीवा में सतना की तुलना में बेहतर स्थिति है। रीवा में लक्ष्य के लगभग बराबर यूरिया उपलब्ध है और इतना वितरण भी हो चुका है। रीवा में यूरिया का लक्ष्य 26 हजार टन है जिसके विरुद्ध 25 हजार टन यूरिया भण्डारित है और इसमें से 24800 टन यूरिया वितरित हो चुका है। साबित हो रहा है कि जिले में यूरिया को लेकर या तो प्रशासनिक स्तर पर गंभीरता नहीं बरती गई या फिर शासन स्तर से सतना जिले की अनदेखी हो रही है। हालांकि जिले के अधिकारी दावा कर रहे हैं कि एक दो दिन में यूरिया की रैक सतना के लिए आने वाली है जिसके बाद से स्थिति सुधर जाएगी। सबसे बुरे हालात सहकारी समितियों के है। यहां नाम मात्र की यूरिया सप्लाई हो सकी है।
समय पर खाद नहीं तो खेती पर असर
गेहूं की बोनी के समय से अगले महीने तक किसान को यूरिया की आवश्यकता होती है। समय पर खाद नहीं मिलने से खेती पर असर पड़ता है। लेकिन जिले में यूरिया खाद की उपलब्धता मांग की विरुद्ध काफी कम है। नतीजा यह है कि सरकारी सेक्टर में यूरिया राशनिंग सिस्टम से दिया जा रहा है। डबल लॉक केन्द्र में यूरिया का वितरण अघोषित तौर पर एक किसान को तीन बोरी ही दे रहे हैं। हालांकि कृषि विभाग इससे इंकार कर रहा है लेकिन किसान इस बात पर अड़े हैं। बहरहाल यह तो जमीनी स्थिति है लेकिन कृषि विभाग के आंकड़ों को ही देखें तो वही जिले में यूरिया की कमी की ओर चीख-चीख कर इशारा कर रहे हैं।
यह है जिले में यूरिया की स्थिति
मिली जानकारी के अनुसार सतना जिले में यूरिया की 35 हजार टन की आवश्यकता का लक्ष्य तय किया गया है। जिसके विरुद्ध 29 नवंबर की स्थिति में जिले में 12100 टन यूरिया खाद उपलब्ध है। जो कि आधे से भी कम है। इस उपलब्ध खाद में से किसानों के लिये महज 9184 टन यूरिया ही वितरित हो सका है। इससे स्पष्ट हो रहा है कि जिले में यूरिया की उपलब्धता आवश्यकता से काफी कम है।
सहकारी समितियों में नाम की खाद
जिले में खाद का ज्यादातर उठाव समितियों के माध्यम से होता है। किसानों के लिये समितियों से खाद लेना काफी सहज होता है और उन्हें ज्यादा दूरी भी तय नहीं करनी पड़ती। लेकिन सहकारी समितियों को यूरिया की स्थिति देखे तो इनका लक्ष्य 24500 टन है जिसके विरुद्ध एक तिहाई अर्थात 7123 टन यूरिया ही उपलब्ध कराया जा सका है। इसमें से 5 हजार टन ही वितरित हो सका है। अंदाजा लगाया जा सकता है कि खाद की सरकारी सप्लाई की स्थिति कितनी खराब है।
निजी सेक्टर में भी कमी
निजी सेक्टर में खाद की स्थिति तो देखे तो यहां सरकारी से बेहतर है लेकिन लक्ष्य से काफी कम है। निजी सेक्टर में खाद का लक्ष्य 10500 टन रखा गया है। जिसके विरुद्ध आधे के लगभग 4977 टन खाद भण्डारित है और इसमें से 3886 टन खाद वितरित की गई है।
सरकार ने जारी किया टोल नंबर
उधर यूरिया संकट को देखते हुए कृषि विभाग पूरी तरह से सक्रिय हो गया है। संचालक मुकेश शुक्ला ने बताया कि यूरिया वितरण को लेकर शिकायत होने पर प्रदेश स्तर पर शिकायत दर्ज करने की व्यवस्था तय की गई है। इसके लिये 0755-2558823 पर शिकायत दर्ज कराई जा सकती है।
कांग्रेस राज में खाद का खेल: भाजपा

इस मामले में भाजपा जिला मीडिया प्रभारी कामता पाण्डेय ने कहा कि यह कांग्रेस का खेल है। खाद की कमी बता कर किसानों को महंगी दर पर खाद बेचने की कोशिश है जिसमें सत्ता से जुड़े लोग शामिल रहते हैं। साथ ही जिले के सत्ताधारी जनप्रतिनिधियों की कमी है कि वे अपने जिले को यूरिया नहीं दिला पा रहे हैं। जबकि रीवा की स्थिति देखी जाए तो वहां खाद की इतनी बुरी स्थिति नहीं है।
प्रशासन की लापरवाही से कमी: कांग्रेस
मामले में कांग्रेस प्रवक्ता अतुल सिंह परिहार ने कहा कि भाजपा के आरोप गलत है और वह जनता को भ्रमित कर रही है। प्रशासनिक लापरवाही से कुछ कमी जरूर है लेकिन किसान को उसकी आवश्यकतानुसार खाद उपलब्ध हो रही है। सरकार जल्द ही सतना को खाद उपलब्ध करा रही है। अगले एक दो दिन में पर्याप्त यूरिया उपलब्ध हो जाएगी। किसी भी तरह की कालाबाजारी नहीं होने दी जाएगी।

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