scriptYear Ender-2017: GST ने दिया बाजार को जख्म, सालभर झूलता रहा कारोबार | Year Ender-2017: false glow of market | Patrika News
सतना

Year Ender-2017: GST ने दिया बाजार को जख्म, सालभर झूलता रहा कारोबार

सुस्त अर्थव्यवस्था अब आ रही पटरी पर…

सतनाDec 24, 2017 / 02:33 pm

suresh mishra

Year Ender-2017: false glow of market

Year Ender-2017: false glow of market

सतना। नोटबंदी से उबर रही जिले की अर्थव्यवस्था जीएसटी के चक्कर में उलझ गई। इससे पूरे साल बाजार साल नहीं पाया। व्यापार लगभग हाशिये रहा। प्रमुख त्योहारों पर भी इनका असर कारोबार पर दिखाई दिया। हालांकि, अब स्थिति नियंत्रण में आ रही है। व्यापार जगत नए साल में उम्मीद कर रहा है कि माहौल बदलेगा।
दरअसल, नवम्बर 2016 में सरकार ने कालेधन पर लगाम कसने के लिए नोटबंदी की थी। नई मुद्रा मिलने में देरी से बाजार में खरीदी ठप रही। करीब तीन माह तक कारोबार में मंदी रही।
करों में एकरूपता

एेसा कोई कारोबारी क्षेत्र नहीं था, जहां इसका प्रभाव नहीं पड़ा। आठ माह बाद ही करों में एकरूपता के लिए सरकार ने जीएसटी लागू कर दी। इसका असर आम जीवन से लेकर अर्थव्यवस्था पर पड़ा। कुछ चीजें सस्ती हुईं, तो कुछ महंगी। हालांकि, उपभोक्ता तक लाभ पहुंचना बाकी है।
बिक्री पर भी पड़ा प्रभाव
जीएसटी का असर कई क्षेत्रों के लिए फायदे और नुकसान वाला साबित हुआ। रियल एस्टेट में फ्लैट या मकान बेचने के लिए ग्राहकों से 12 फीसदी जीएसटी लिया जा रहा है। इससे ग्राहकी पर असर हुआ। कपड़ा बाजार में पूरे त्योहार सुस्ती रही। सावन पर नए कपड़े बाजार से गायब थे। यह 30 से 40 फीसदी आ गया था। इलेक्ट्रॉनिक कारोबार पूरे साल सुस्त था।
जीएसटी के आधार पर मूल्य तय

दीपावली पर इसमें तेजी की उम्मीद थी, लेकिन एेसा नहीं हुआ। किराना, अनाज, सराफा पर अभी तक असर है। व्यापारी कारोबार पर कम, रिटर्न भरने पर ज्यादा ध्यान देते रहे। वे जीएसटी की दर के साथ नियमों को जानने के लिए कवायद करते रहे। इसका असर कारोबार पर पड़ा। एेसी कोई चीज नहीं थी जिसकी आवक सामान्य रही। कंपनियों को जीएसटी के आधार पर मूल्य तय करना था। इसलिए उत्पादन के साथ सप्लाई रुक गई।
कारोबारी और उद्योगपति परेशान

वस्तुओं की कीमतों और दरों को समझने के लिए कारोबारी और उद्योगपति परेशान रहे। चार तरह का रिटर्न फाइल करना, उनके लिए अलग अनुभव थे। जीएसटी पूरी तरह कानूनी मसला रहा। कानूनी चीजों को बेहतर तरीके से समझने के लिए व्यापारियों ने कर सलाहकार, सीए के साथ एकाउंटेंट की मदद ली। सभी की निर्भरता इन पर बढ़ गई।
एक्साइज से जीएसटी आयुक्तालय बना
कर एकत्रित करने वाले दो प्रमुख विभागों को नई प्रणाली में काम करने के लिए अपने को अपडेट करना पड़ा। जनवरी से जुलाई तक कानून को समझने के लिए प्रशिक्षण, कार्यशालाओं का दौर चला। सेंट्रल एक्साइज विभाग का नाम बदला। वह जीएसटी आयुक्तालय में तब्दील हुआ। अधिकारियों के पदनामों में परिवर्तन हुआ। वाणिज्यिक कर विभाग में अधिकारियों के पदनाम के पीछे राज्य कर जुड़ गया।
उपभोक्ता तक नहीं पहुंचा फायदा
कई तरह के करों को मिलाकर जीएसटी बनाया गया। कई चीजों के दाम कम हो गए। विलासिता की वस्तुएं महंगी हुईं। लेकिन, जिन चीजों की टैक्स की दरें कम हुई, उनका लाभ अब तक उपभोक्ता तक नहीं पहुंच रहा है। अभी भी मुनाफाखोरी चल रही है। जुलाई से लेकर अब दरों में परिवर्तन हुआ। लेकिन, व्यापार जगत इसका फायदा देने में कंजूसी कर रहा है। एमआरपी लिखी वस्तुओं के दाम कम हुए, लेकिन इनका लाभ नहीं दिया जा रहा है। इसलिए नए साल में शासन के लिए यह चुनौती रहेगी कि वह ग्राहकों को कैसे फायदा दिलाए।
नोटबंदी से रियल एस्टेट काफी प्रभावित हुआ है। इसका लाभ आम जनता को मिला है। जो जमीन महंगी होती जा रही थी उसमें गिरावट आ गई है।
उत्तम बनर्जी, आर्किटेक्ट

नोटबंदी से कैश काउंटर प्रभावित हुआ है। ग्राहकी में भी गिरावट आई है।
पवन मलिक, बिजनेसमैन
जीएसटी अच्छा है पर व्यापारी व आम आदमी दोनों इसे समझ नहीं पा रहे। ठीक ढंग से ऑपरेट नहीं कर पा रहे हैं।
धर्मेंद्र गोयल, बिजनेसमैन

एक नंबर का बिजनेस करने वालों के लिए काफी फायदेमंद है। इसके लागू होने से उन्हें एक ही जगह टैक्स जमा करना है।
महेश जायसवाल, बिजनेसमैन
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो