scriptसरकार की नजरें इनायत हों तो दुग्ध उत्पादन से बदले तस्वीर | If the eyes of the government are grace, then the picture will change | Patrika News
सवाई माधोपुर

सरकार की नजरें इनायत हों तो दुग्ध उत्पादन से बदले तस्वीर

सरकार की नजरें इनायत हों तो दुग्ध उत्पादन से बदले तस्वीरसंभाग में 739 में से 349 दुग्ध समितियां बंद

सवाई माधोपुरSep 24, 2021 / 09:16 pm

rakesh verma

सरकार की नजरें इनायत हों तो दुग्ध उत्पादन से बदले तस्वीर
संभाग में 739 में से 349 दुग्ध समितियां बंद
-सवाईमाधोपुर-करौली, धौलपुर व भरतपुर में डेयरी प्लांट है, लेकिन उपेक्षा के शिकार
-संभाग में स्टाफ, डेयरी प्लांट के उपकरणों की रख-रखाव नहीं
-सरकारी स्तर पर प्रयास हो तो सुधर सकती है डेयरी प्लांटों की दशा
सवाईमाधोपुर. प्रदेश के भरतपुर संभाग में दूध की कोई कमी नहीं है लेकिन यदि सरकार सवाईमाधोपुर, करौली, धौलपुर व भरतपुर जिलों में डेयरी प्लांटों पर नजरे इनायत करें तो डेयरी प्लांट की दशा सुधर सकती है। इन दिनों दुग्ध डेयरी प्लांट देखरेख नहीं होने, संसाधनों की कमी, स्टाफ, रख-रखाव नहीं होने की समस्याओं से जूझ रहे हैं। बात करें सवाईमाधोपुर व करौली जिले की तो यहां इन दिनों प्रतिदिन औसतन 12 हजार लीटर दूध का उत्पादन होता है, लेकिन जिले में संचालित कई समितियां बंद होने से दूध आपूर्ति में हो पा रही है। कुछ ऐसे ही हालात धौलपुर व भरतपुर जिले के बने हैं। यहां भी कुल पंजीकृत 324 दुग्ध उत्पादक समितियों में से केवल 54 ही चालू है, शेष बंद है।
संभाग में साढ़े तीन सौ दुग्ध उत्पादक समितियां बंद
प्रदेश के सवाईमाधोपुर, करौली, धौलपुर व भरतपुर जिले में कुल 739 दुग्ध उत्पादक समितियां पंजीकृत है। इनमें से वर्तमान में महज 390 ही संचालित हैं, जबकि साढ़े तीन सौ दुग्ध उपात्दक समितियां बंद है। ऐसे में यदि सरकारी स्तर पर प्रयास हो और ये समितियां भी वापस चालू हो जाए तो दुग्ध उत्पादन और बढ़ सकता है। सवाईमाधोपुर व करौली जिले में कुल 415 दुग्ध समितियां है लेकिन वर्तमान में केवल 120 दुग्ध समितियां ही चालू है, शेष दुग्ध समितियां बंद है। इसी प्रकार भरतपुर-करौली की बात करें तो दोनों जिले में कुल 324 दुग्ध उत्पादक समितियां है। लेकिन यहां भी भरतपुर में 47 व धौलपुर में केवल 7 ही समितियां चालू है, शेष समितियां तो बंद हो चुकी है।
भरतपुर जिले में फ्लोइराड पानी, जल्द खराब हो रही मशीनें
भरतपुर जिले में जिला मुख्यालय से करीब 6 किलोमीटर दूर डेयरी प्लांट स्थापित है। लेकिन यहां फ्लोराइड युक्त पानी की प्रमुख समस्या बनी है। ऐसे में डेयरी प्लांट में लगी मशीनें भी जल्दी ही खराब हो जाती है। हालांकि यहां वॉटर ट्रीटमेंट प्लान लगा है, लेकिन वह काफी खर्चीला साबित हो रही है। आरओ से पानी में ज्यादा खर्चा हो रहा है। ऐसे में भरतपुर में यदि चम्बल पानी की पाइपलाइन डल जाए तो डेयरी प्लांट को सहूलियत मिलेगी। वहीं खर्चा भी कम आएगा।

Home / Sawai Madhopur / सरकार की नजरें इनायत हों तो दुग्ध उत्पादन से बदले तस्वीर

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो