भारतीय ताराभौतिकी संस्थान के प्रोफेसर (सेनि) रमेश कपूर ने बताया कि इस लघु ग्रह का नाम 1981 ईटी 3 (3122 फ्लोरेंस) है। यह पृथ्वी के निकट ग्रहों में से एक है, जो पृथ्वी के निकट रहकर धरती की परिक्रमा करते रहते हैं। यह उन लघु ग्रहों में से एक है जो लाखों करोड़ों वर्ष पहले लघु ग्रहों की पट्टी से छिटककर पृथ्वी के निकट आ गए और एक नई कक्षा में स्थापित हो गए।
दरअसल, मंगल एवं बृहस्पति ग्रह की कक्षाओं के भीतर लाखों करोड़ों की संख्या में लघु ग्रहों की एक पट्टी है जो सूर्य का भ्रमण करती है। प्रो. कपूर ने बताया कि फ्लोरेंस लघु ग्रह 1 सितम्बर को भारतीय समयानुसार शाम 5.30 बजे पृथ्वी के बेहद निकट से गुजरेगा। उस समय पृथ्वी से इसकी दूरी 70 लाख 67 हजार किलोमीटर रह जाएगी। अर्थात पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की औसत दूरी से 18.5गुणा अधिक होगी।
अंतरिक्ष में ये दूरियां छोटी आंकी जाएंगी। लगभग 100 साल पूर्व पृथ्वी के निकट पिंडों का पता चला था। तब से अब तक का यह पहला सबसे बड़ा पिंड है, जो पृथ्वी के इतने निकट से गुजरेगा। इसे छोअी दूरबीन से ही देखा जा
सकेगा। तब इसकी अधिकतम चमक +9 मैग्नीट्डूयड तक पहुंच जाएगी। यह पिंड 4.9 किलोमीटर आकार का है और इसे आस्ट्रेलिया की साइडिंग स्प्रिंग वेधशाला से 2 मार्च 1981 में खोजा गया। यह सूर्य का चक्कर 2.35 वर्ष में लगाता है और 1890 के बाद पहली बार पृथ्वी के इतने निकट होकर गुजरेगा।
अगली बार इतने निकट से होकर यह वर्ष 2500 में गुजरेगा। फ्लोरेंस लघु ग्रह को बेहद खतरनाक लघु ग्रहों की श्रेणी में रखा गया है। यद्यपि इसके पृथ्वी से टकराने की कोई संभावना नहीं है। अमरीका के गोल्डस्टोन राडार से इसका अध्ययन 29 अगस्त से 8 सितम्बर के बीच में किया जाएगा। साथ ही 2 से 5 सितम्बर के बीच आरएसीबो के विशाल दूरदर्शी से भी अध्ययन किए जाएंगे।
इन अध्ययनों में इसकी सतह के 10 मीटर आकार तक की बनावट देखी जा सकेगी। अपने पथ में ये 40 हजार 700 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चलता है पर देखना यह है कि क्या इसका भी अपना कोई उपग्रह है।