डिजिटल ट्विन से होंगे दीर्घायु
ईएमपीए के अनुसार, शोधकर्ता डिजिटल रूप में किसी भी रोगी की हूबहू कॉपी यानी ‘डिजिटल ट्विन’ बनाकर डिजिटल रोगी पर दुर्लभ अनुवांशिक रोगों और कैंसर का संभावित निदान, उपचार और संभव हो तो इलाज करने के लिए उपयोग कर सकते हैं। एक डिजिटल ट्विन संभावित परिणामों की भविष्यवाणी कर सकता है। डिजिटल ट्विन एक बेहतरीन तकनीक है जो भविष्य में जीवन बचाने में मदद कर सकती है। वैज्ञानिक ‘ट्रायल-एंड-एरर प्रोसेस’ की मदद से इलाज के नए रास्ते खोजने का प्रयास कर सकेंगे।
ऐसे बनाते हैं डिजिटल जुड़वां
शोधकर्ता गणितीय सिद्धांतों को डिजिटल ट्विन के आधार के रूप में उपयोग करते हैं। इस विशिष्ट अध्ययन में रोगी की सटीक डिजिटल कॉपी बनाने के लिए उसकी आयु, जीवन शैली, लिंग, जातीयता, रक्त रक्त समूह, ऊंचाई, वजन और अन्य विस्तृत जानकारी जैसी सामान्य जानकारियों की जरुरत पड़ती है। ईएमपीए के ‘बायोमिमेटिक मेम्ब्रेन एंड टेक्सटाइल्स’ के प्रमुख थिज्स डिफ्रेया के अनुसार, रोगी का डिजिटल अवतार बनाकर वे यह जांच करते हें कि उपचार के दौरान दी जा रहे ट्रीटमेंट का रोगी के शरीर में चयापचय कैसे होता है। साथ ही एक अन्य पहलू यह भी परखा जाता है किरोगी के मस्तिष्क में दर्द का अहसास कराने वाले हिस्से (पेन सेंटर) तक कितनी दवा पहुंचती है।
रोगी डिजिटल ट्विन प्रतिक्रिया दे सकते हैं
जो रोगी अपना डिजिटल जुड़वां विकसित किए हैं वे उपचारों पर अपनी प्रतिक्रिया भी दे सकते हैं। इन प्रतियों को उनके अनुभव के आधार पर वास्तविक रोगियों के इनपुट के साथ अपडेट किया जा सकता है। भविष्य में, सेंसर की मदद से वास्तविक रोगी के महत्वपूर्ण संकेतों जैसे कि दिल की धड़कन, रक्तचाप और ऑक्सीजन स्तर को वास्तविक समय (रियल टाइम) में उनके डिजिटल ट्विन में सिंक भी किया जा सकेगा। वैज्ञानिकों का दावा है कि इस नई तकनीक से चिकित्सा जगत में क्रांति आ सकती है। इलाज करने और रोगियों को दवा देने से पहले, डॉक्टर प्रत्येक दवा और मौजूदा इलाज का के दुष्प्रभावों और संभावित परिणामों को देखने के लिए डिजिटल ट्विन पर परीक्षण कर सकते हैं।
साइड इफेक्ट्स की कर सकेंगे पहचान
आधुनिक चिकित्सा में पर्याप्त प्रगति के बावजूद सटीक खुराक अब भी एक चुनौती बनी हुई है। जैसे सिंथेटिक ओपियेट्स कैंसर से होने वाले गंभीर दर्द को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं। लेकिन सटीक खुराक एक चुनौती बनी हुई है। फेंटेनल जैसी दर्द निवारक की खुराक बेहद सटीक नहीं है तो यह रोगियों के लिए जानलेवा साइड इफेक्ट्स काकारण बन सकती है। यही वजह है कि आज, इस तरह के दर्द निवारक दवाओं को त्वचा के नीचे एक पैच के माध्यम से लगाया जाता है ताकि शरीर धीरे-धीरे उस दवा को अपना सके और रोगियों को कोई खतरा भी न हो।