बचपन में ही विज्ञान की पढ़ाई के दौरान यह नियम सिखाया-समझाया जाता है कि किसी वस्तु का अपना कोई रंग नहीं होता। उस पर जब लाइट पड़ती हैं तो वह बाकी रंगों को सोखकर जिस रंग को परावर्तित करती है, वही उसका रंग होता है। यही नियम कहता है कि जब कोई वस्तु सभी रंगों को सोख लेती है तो वह काली और सभी रंगों को परावर्तित करती है तो सफेद दिखती है।
साबुन का झाग सफेद दिखाई देने के पीछे भी यही कारण है। झाग कोई ठोस पदार्थ नहीं है। इसकी सबसे छोटी इकाई पानी, हवा और साबुन से मिलकर बनी एक पतली परत होती है। यह पतली परत जब गोल आकार ले लेती है,दरअसल साबुन का झाग बहुत सारे छोटे बुलबुलों का समूह होता है।