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सीहोर

मार्शल आर्ट्स में ‘मास्टर’ हैं ये कलेक्टर, रोज 2 घंटे बहाते हैं पसीना

उनका मानना है कि मार्शल आर्ट एक ऐसा खेल है जिसमें हम विपरीत परिस्थितियों में आत्मरक्षा भी कर सकते हैं.

सीहोरJun 29, 2022 / 08:00 pm

deepak deewan

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सीहोर. सीहोर के कलेक्टर आईएएस चंद्रमोहन ठाकुर ने अन्य अधिकारियों और समाज के लिए मिसाल पेश की है। उनका मानना है कि मार्शल आर्ट एक ऐसा खेल है जिसमें हम विपरीत परिस्थितियों में आत्मरक्षा भी कर सकते हैं. उनकी यह भी सोच है कि महिलाओं के प्रति जिस तरह से अपराध बढ़ रहे हैं उसे कम करने का सबसे अच्छी तरीका यह है कि छोटी उम्र से ही उन्हें मार्शल आर्ट्स की ट्रेनिंग दिलवाई जाए। सबसे खास बात यह है कि मार्शल आर्ट की इन खूबियों का कलेक्टर केवल बखान ही नहीं करते बल्कि उन्होंने खुद इसकी ट्रेनिंग ली. स्टूडेंट बनकर 2 घण्टे की कठोर ट्रेनिंग लेकर वे मार्शल आर्ट्स की पहली यलो बेल्ट प्राप्त कर चुके हैं।
इतना ही नहीं, आत्मरक्षा के लिए कलेक्टर अपनी बेटी अभिलाषा को भी मार्शल आर्ट्स की ट्रेनिंग दिलवा रहे हैं. महज 8 साल की उम्र में ही अभिलाषा कठिन दांव पेंच सीख चुकी है. जब वे अपनी बेटी को लेकर शहर की एक मार्शल आर्ट्स अकेडमी पहुंचे तो उन्होंने खुद भी इसकी ब्लैक बेल्ट की परीक्षा उत्तीर्ण करने का संकल्प लिया. इसी के साथ उन्होंने मार्शल आर्ट्स अकेडमी में एक विद्यार्थी के रूप में अपनी बेटी के साथ हर रोज 2 घण्टे पसीना बहाना शुरू कर दिया.
देश की सबसे हाई प्रोफाइल और कठिन मानी जानेवाली भारतीय प्रशासनिक सेवा की परीक्षा पास करनेवाले 2012 बैच के आईएएस चंद्रमोहन ठाकुर बताते हैं कि उन्हें लगा कि मार्शल आर्ट्स में ब्लैक बेल्ट प्राप्त करना चाहिए. सीहोर में कलेक्टर बनकर आया तो यह स्वप्न पूरा करने का मौका मिल गया. यही कारण है कि वे इस विधा से तत्काल जुड़ गए. वे अपने जीवन की पहली यलो बेल्ट की परीक्षा उत्तीर्ण कर चुके हैं और इसके लिए खुशी भी जताते हैं। इधर मार्शल आर्ट्स अकेडमी के संचालक भी कलेक्टर चंद्रमोहन ठाकुर की मेहनत और संकल्प की सराहना करते हैं. अकेडमी के संचालक का कहना है कि इतने बड़े पद पर बैठकर, इतनी व्यस्तताओं के बीच भी मार्शल आर्ट्स की ट्रेनिंग के लिए कलेक्टर पसीना बहा रहे हैं. इससे यह संदेश भी सामने आता है कि वाकई सीखने की कोई उम्र नहीं होती.

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