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सीहोर

ईश्वर की शरण से जीवन की नाव हो जाएगी पार- शास्त्री

भागवत कथा में आज किया जाएगा धु्रव चरित्र का वर्णन

सीहोरNov 14, 2019 / 01:22 pm

Anil kumar

भागवत कथा

भागवत कथा

सीहोर.
भगवान की लीला अपरंपार है। ईश्वर समय समय पर अपनी लीलाओं के माध्यम से मनुष्य व देवताओं के धर्मानुसार आचरण करने के लिए प्रेरित करते हैं। इसलिए सभी धर्म के मार्ग पर चलकर जीवन को सफल बनाएं।

यह बात शहर के चाणक्यपुरी स्थित सांई मंदिर के समीप संगीतमय भागवत कथा के दूसरे दिन कथा वाचक पंडित अजय पुरोहित ने कहीं। मंगलवार को पंडित पुरोहित ने कहा कि सुखदेव मुनि ने राजा परीक्षित से कहा कि परीक्षित सब को सात दिन में ही मरना है। इस सृष्टि में आठवां दिन तो अलग से बना नहीं है। उन्होंने श्रीमद भागवत कथा के महत्व को समझाते हुए कहा कि भागवत कथा में जीवन का सार तत्व मौजूद है आवश्यकता है निर्मल मन ओर स्थिर चित्त के साथ कथा श्रवण करने की। भागवत श्रवण से मनुष्य को परमानन्द की प्राप्ति होती है। भागवत श्रवण प्रेतयोनी से मुक्ति मिलती है। चित्त की स्थिरता के साथ ही श्रीमद् भागवत कथा सुननी चाहिए। भागवत श्रवण मनुष्य के संपूर्ण कलेश को दूर कर भक्ति की ओर अग्रसर करती है। उन्होंने अच्छे ओर बुरे कर्मो की परिणीति को विस्तार से समझाते हुए आत्मदेव के पुत्र धुंधकारी ओर गौमाता के पुत्र गोकरण के कर्मो के बारे में विस्तार से वृतांत समझाया। धुंधकारी द्वारा एकाग्रता पूर्ण भागवत कथा श्रवण से प्रेतयोनी से मुक्ति बताई तो वहीं धुंधकारी की माता द्वारा संत प्रसाद का अनादर कर छल कपट से पुत्र प्राप्ती ओर उसके बुरे परिणाम को समझाया।

मनुष्य संस्कार जरूरी है
पुरोहित ने कहा कि मनुष्य के संस्कार जरूरी है। भगवान की सबसे प्रिय भाषा संस्कृत भाषा है। उन्होंने कहा कि संस्कृ त भाषा में संस्कार सम्मिलित है। भगवान के दर्शन मात्र से ही सब फ ल मिल जाते हैं। भक्ति से ईश्वर का ज्ञान हो जाता है। भागवत कथा सुनने से सफ लता और मन को शांति मिलती है। आयोजन समिति के मदनलाल गौड़ ने बताया कि बुधवार को धु्रव चरित्र, गुरुवार को भक्त प्रहलाद चरित्र के साथ भगवान श्रीकृ ष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाएगा। शुक्रवार को भगवान श्रीकृष्ण की बाललीला, शनिवार को माता रुकमणी विवाह और रविवार को सुदामा चरित्र के अलावा हवन पूजन और महा प्रसादी का वितरण किया जाएगा।

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