जिला मुख्यालय पर स्वास्थ्य विभाग में लगभग 500 संविदा कर्मचारी तैनात है। यह कर्मचारी नियमितिकरण और हटाए गए कर्मचारियों की वापसी को लेकर 19 फरवरी से हड़ताल पर बैठे हुए है। पिछले 36 दिनों से हड़ताल के कारण दवा वितरण, टीकाकरण, राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य मिशन, गतिविधि, फाइनेंशल, गर्भवती स्वास्थ्य परीक्षण, नसबंदी सहित अन्य काम प्रभावित हो रहे है। इन कामों के लिए एएनएम, डाक्टर, नर्स स्टाफ, फार्मसिस्ट, लैब टेक्नीशियन, काउंसलर, प्रबंधन कार्य को लेकर जिलेभर में संविदा कर्मियों को नियुक्त किया गया था।
जिले के 160 संयुक्त संविदा कर्मचारी भी 15 मार्च से संविदा पद से मुक्त कर नियमित किए जाने को लेकर अनिश्चितकीलीन हड़ताल पर है। हड़ताल पर मनरेगा, मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम, महिला बाल विकास एंव समहिला सशक्तिकरण, योजना एंव सांख्यिकी विभाग, मनरेगा वाटर शेड, डीआरडीए, स्वच्छ भारत मिशन, प्रधानमंत्री आवास, कृषि सिंचाई योजना, विबजली विभाग, लोक स्वास्थ्य यंत्रिकी, पशु चिकित्सा, प्रधानमंत्री सड़क, इ-गवनेंस, मंडी बोर्ड प्रयोगशाला, लोक सेवा प्रबंधन, स्त्रोत सलाहकार विभाग, आयुष विभाग, आरएनटीपीसी, इसीसीई, समन्वयक, खेल विभाग सहित अन्य कार्यालयों द्वारा संचालित योजनाए लगभग ठप पड़ गई है। योजनाओं का लाभ ग्रामीणों को भी नहीं मिल पा रहा है। इसके चलते कई कठिनाइयों का सामना आमजनों को करना पड़ रहा है।
संविदा कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने से स्वास्थय विभाग ने वैकल्पिक व्यवस्थाएं की गई। इन व्यवस्थाओं के चलते कुछ काम करवाए जा रहे है। लेकिन अधूरे अप्रशिक्षितों से काम लेने के कारण भी यह व्यवस्था चल नहीं पा रही है। वही कई नियमित कर्मचारियों को ज्यादा चार्ज देने पर यह कर्मचारी भी नाराज हो रहे है। नियमित स्वास्थ्य कर्मचारी ने नाम नहीं बताने की शर्त पर बताया की अधिकारी बस आदेश जारी करना जानते है। खुद के काम पहले ही ज्यादा है। उपर से अतिरिक्त प्रभार देने से पूर्व के काम भी बिगड़ रहे है।
हम अपनी मांगों को लेकर अटल है, जब तक मांगे मान नहीं ली जाती, तब तक हड़ताल जारी रहेगी। अब तक बहुत शोषण झेल चुके है, अब आरपार की लड़ाई का मन सभी कर्मचारियों ने बना लिया है। – तरूण राठौर, अध्यक्ष संविदा स्वास्थ्य संगठन, सीहोर