दिसंबर और जनवरी महीने में खेत में प्याज लगाने के बाद बीच में इसमें थ्रिप्स कीट रोग लग गया। जिससे प्याज अपने आप पीली पड़कर सूखने लगी। कीट से बचाने किसानों ने बाजार से हजारों रुपए की महंगी कीटनाशक दवा लाकर छिड़काव किया, फिर भी कई किसानों की प्याज बच नहीं पाई। वही जितने किसानों की फसल ठीक स्थिति में थी उनमें से कई ने खेत से प्याज की खुदाई कर ली, जबकि कई का काम चल रहा है।अब उनके सामने समस्या खड़ी हो गई है। किसान प्याज को बेचना तो चाह रहे हैं, लेकिन मंडियों में भाव नहीं होने से संभव नहीं हो रहा है।
नरेंद्र कुशवाहा, अध्यक्ष फल एवं सब्जी मंडी व्यापारी एसोसिएशन आष्टा का कहना है कि डिमांड कम होने की वजह से प्याज के भाव में कमी है। खपत बढ़ती है तो अपने आप भाव बढ़ने लग जाएंगे। वैसे जून महीने के बाद से जरूर प्याज के भाव बढ़ने की उम्मीद है।
कम भाव में बेचा तो होगा नुकसान
जिले की ए ग्रेड सीहोर और आष्टा मंडियों में प्याज के भाव एक हजार से भी नीचे चल रहे हैं। किसानों का कहना है कि इस भाव में प्याज बेचा तो सिवाय नुकसान के अलावा कुछ नहीं होगा। प्याज लगाने से लेकर दवाई, खुदाई, कटाई कराने में काफी रुपए खर्च हुए हैं। ऐसे में कम भाव से लागत निकलना मुश्किल होगी। इसलिए किसान खेत से सीधे घर में ही प्याज को भंडारित करने में लगे हुए हैं। किसानों ने बताया कि मंडियों में भाव बढ़ने तक प्याज को इसी तरह से घर में रखना पड़ेगा।
यदि छटवाई नहीं कराई तो होगी खराब
प्याज को घर या अन्य गोडाउन में रखने पर समय-समय पर छटवाई कराना पड़ती है। यदि छटवाई नहीं कराई तो खराब होने की सबसे अधिक आ शंका रहती है। वहीं हवा के लिए पंखा आदि भी लगाना पड़ता है। बीते वर्ष किसानों ने इसी तरह से प्याज भंडारित की थी, लेकिन बारिश के मौसम में छटवाने की बारी आई तो मजदूरों का सहारा लेना पड़ा था। उस समय काफी प्याज खराब निकली थी।किसानों का कहना हैकि प्याज के भाव में इजाफा होना चाहिए, जिससे कि किसानों को काफी राहत मिल सकें।