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सिवनी

फायनेंस कंपनी से ट्रक खरीदकर पांच दिन बाद राजेश ने बेच दिया पप्पू को

– बिना नाम स्थानांतरण के बिकता रहा ट्रक, तीन साल पार कार्रवाई कुछ भी नहीं – पुलिस के ट्रक खरीदने वाले के दर्ज बयान में हैं उल्लेख

सिवनीFeb 21, 2020 / 12:29 pm

akhilesh thakur

फायनेंस कंपनी से ट्रक खरीदकर पांच दिन बाद राजेश ने बेच दिया पप्पू को

फायनेंस कंपनी से ट्रक खरीदकर पांच दिन बाद राजेश ने बेच दिया पप्पू को

सिवनी. जिले में फायनेंस कंपनी बिना नाम स्थानांतरण कराए वाहन जब्त कर बेच रही है। कंपनी जिसे वाहन बेचती है, वह भी बिना नाम स्थानांतरण कराए वाहन बेच दे रहा है। ऐसा एक मामला सामने आया है। खास है कि ऐसा कर धारा 51 मोटरयान अधिनियम 1988 का उल्लंघन किया जा रहा है। इसकी पुष्टि एआरटीओ देवेश बाथम ने की है। इससे शासन के लाखों रुपए के राजस्व का नुकसान हो रहा है।

गौरतलब है कि वर्ष 2016 में श्रीराम फायनेंस कंपनी ने धारनाकला निवासी अशरफ का ट्रक क्रमांक सीजी 08 बी 0611 जब्त किया और नीलामी में छिंदवाड़ा जिले के कुंडीपुरा थाना क्षेत्र के पतालेश्वर वार्ड क्रमांक 19 निवासी राजेश साहू पिता कमल किशोर साहू को बेच दिया। राजेश ने नीलामी में उक्त ट्रक को खरीदने के पांच दिन बाद छिंदवाड़ा जिले के लालबाग निवासी पप्पू चौरसिया को बेच दिया। राजेश ने यह बात आठ जून 2018 को बरघाट पुलिस को दिए बयान में कहा है।
उसने बयान में कहा है कि खरीदते समय मुझे ट्रक से संबंधित कोई कागज नहीं मिले। 328, 229, 30, 24, 35 नंबर फार्म मेन्युवल वाले श्रीराम फायनेंस कंपनी से मिले थे। उक्त कागजात को मैंने पप्पू चौरसिया को दिए थे। उक्त ट्रक को फायनेंस कंपनी ने लोन का किश्त नहीं चुकाए जाने पर धारनाकला निवासी अशरफ के यहां से जब्त किया था। अशरफ ने बरघाट थाने में ट्रक चोरी की शिकायत की थी। अशरफ का आरोप है कि कंपनी ने उसे बिना सूचना दिए चोरी से ट्रक जब्त कर बिना नाम स्थानांतरण कराए बेच दिया। पुलिस ने अशरफ का भी बयान लिया है।
इस मामले में श्रीराम फायनेंस कंपनी के प्रबंधक पंकज सोनी ने पुलिस को दिए बयान में कहा है कि लोन की किश्त नहीं चुकाने पर कंपनी के कर्मचारियों को अशरफ ने वाहन सुपुर्द किया था। इसकी सूचना कर्मचारियों ने बरघाट पुलिस को दी थी। ऐसे में सवाल यह है कि जब कंपनी के कर्मचारियों ने ट्रक को जब्त किए जाने की सूचना बरघाट पुलिस को दी थी तो पुलिस ने अशरफ द्वारा चोरी की शिकायत किए जाने पर उसे कैसे स्वीकार कर लिया। इसका जवाब मिलना शेष है।
इन सबके बीच बिना नाम स्थानांतरण कराए वाहन बेचना नियम के विरुद्ध है। ऐसा करने वाले के खिलाफ धारा-420 के तरह कार्रवाई हो सकती है। यह बात एआरटीओ देवेश बाथम ने कही है। ऐसे में तीन साल से अधिक समय पार हो जाने के बाद भी उक्त मामले में एआरटीओ महकमा कार्रवाई के लिए किसका इंतजार कर रहा है।
शासन के लाखों रुपए के राजस्व के हो रहे नुकसान के लिए कौन जिम्मेदार है? एआरटीओ की धीमी कार्रवाई कहीं इस तरह के कार्य को बढ़ावा देना तो नहीं है? ऐसे सवाल लोगों के जेहन में चल रहे हैं।

एआरटीओ का दावा फायनेंस कंपनी ने उपस्थित होकर रखा पक्ष
उधर इस मामले में बिना नाम स्थानांतरण कराए वाहन बेचे जाने के संबंध में ‘पत्रिकाÓ में प्रकाशित खबर के बाद दो बार श्रीराम फायनेंस कंपनी को नोटिस जारी कर एआरटीओ बाथम ने जवाब मांगा था। जवाब से संतुष्ट नहीं होने पर उन्होंने कंपनी को कार्यालय में उपस्थित होकर जवाब प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था। एआरटीओ का दावा है कि इस मामले में बुधवार को कंपनी ने कार्यालय में उपस्थित होकर जवाब प्रस्तुत किया है। बताया कि दूसरा पक्ष धारनाकला निवासी अशरफ को बुलाया था। वे जल्दी कार्यालय पहुंच गए थे। उनको रूकने के लिए बोला गया, लेकिन वे नहीं रूके। इस मामले में नियम विरुद्ध बिना नाम स्थानांतरण कराए वाहन बेचने के मामले में क्या कार्रवाई की जाएगी और कब तक के सवाल का एआरटीओ संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए।
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