शहडोल। हिंदू पंचांग के अनुसार 31 जनवरी को माघ मास की पूर्णिमा है। इसी दिन खग्रास चंद्रग्रहण भी है। जिसके चलते पूर्णिमा होने के बाद भी उदित चन्द्रता नजर नही आयेगा। इस ग्रहण काल के समय कुछ खास नियमों को
ध्यान रखते हुए कार्य करना चाहिए। ग्रहण के दौरान सूतक से लेकर ग्रहण समाप्ति तक वृद्ध, आतुर बालक व रोगी को छोड़कर किसी को भी अन्न-जल का सेवन नहीं करना चाहिए।
कब क्या होगा अभ्यानंद संस्कृत महाविद्यालय कल्याणपुर के प्राचार्य दीनबन्धु मिश्रा के अनुसार बुधवार की सुबह 8.19 से सूतक काल प्रारंभ हो जायेगा। जिसके बाद ग्रहण काल सायं 5.35 से प्रारंभ होगा और7.38 में उदित चन्द्रमा पूरी तरह से ढका हुआ दिखेगा। इसके उपरांत 8.42 में मोक्ष काल होगा। श्री मिश्रा की माने तो इस खग्रास चन्द्रग्रहण की वजह उत्तरी भारत में उथल-पुथल हो सकती है।
किसे फायदा किसे नुकसान
यह खग्रास चन्द्रग्रहण जहां कुछ राशि के जातकों के लिये फल दायी है तो कुछ के लिये हानिकारक भी साबित हो सकता है। श्री मिश्रा के अनुसार मेष, मिथुन, कर्क, सिंह, मकर व मीन राशि के जातकों के लिये किसी ने किसी तरह से नुकसान दायक साबित हो सकता है। वहीं वृष, कन्या, तुला, कुंभ राशि के जातकों के लिये लाभप्रद साबित होगा।
ग्रहण में विशेष सावधानी बरतें।
* ग्रहण काल में वस्त्र न फाडें, कैंची का प्रयोग न करें, घास, लकडी एवं फूलों को न तोडें।
* बालों व कपड़ों को नहीं निचोड़े।
* कठोर व कड़वे वचन न बोलें।
* घोड़ा, हाथी की सवारी न करें।
* गाय, बकरी एवं भैंस का दूध दोहन न करें,
* शयन व यात्रा न करें।
* ग्रहण या सूतक के पहले बनी वस्तुओं में
तुलसी दल या कुशा डालकर रखना चाहिए।
ग्रहण के बाद के नियम
* ग्रहण के मोक्ष के बाद तीर्थ में गंगा, जमना, रेवा (नर्मदा), कावेरी, सरजू अर्थात किसी पवित्र नदी, तालाब, बावड़ी इत्यादि में स्नान करना चाहिए।
* यदि यह संभव न हो तो घर के जल में तीर्थ जल डालकर स्नान करें। स्नान के पश्चात देव-पूजन करके, दान-पुण्य करें व ताजा भोजन करें।
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