बरगद के पेड़ के नीचे स्थापित थी खेरमाता की प्रतिमा, अब बन गया है भव्य मंदिर
शाहडोल•Oct 08, 2021 / 12:47 pm•
Ramashankar mishra
माता की महिमा : लालदेवी कुण्ड से लेकर आते थे चावल व गुलाब का फूल फिर खेर माता से उठते थे मां के जवारे
शहडोल. चारो तरफ हरियाली से आच्छादित खेरमाता का दरबार नगर के श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केन्द्र हैं। माता का यह मंदिर अब भव्य स्वरूप में बनकर तैयार है और धीरे-धीरे मंदिर परिसर को और भी व्यवस्थित करने के प्रयास किए जा रहे हैं। नगर के पाण्डवनगर स्थित मातारानी का यह दरबार कुछ दशक पूर्व जंगल से घिरा हुआ था। जहां पहाड़ी में बरगद के पेड़ के नीचे बड़े से पत्थर में माता रानी की प्रतिमा स्थापित थी। जहां बैगा परिवार कई पीढिय़ों से माता रानी की सेवा करते चला आ रहा है। धीरे-धीरे यहां छोटे से मंदिर का निर्माण हुआ इसके बाद क्षेत्र का विस्तार होता गया और वर्ष 2006-07 में मंदिर का पूर्ण रूप से विस्तार हुआ। माता रानी की सेवा करने वाले बैगा परिवार के सदस्यों का कहना है कि लालदेवी माता मंदिर के समीप स्थित कुण्ड से पुजारी के बड़े बेटे भोल्ला बैगा चावल और गुलाब के फूल लेकर आते थे तभी माता के दरबार से जवारा विसर्जित होते थे।
तीन पीढिय़ों से कर रहे मां खेर माई की सेवा
मंदिर परिसर में ही रह रहे दस्सू बैगा ने बताया कि तीन पीढिय़ों से माता रानी की सेवा कर रहे हैं। पूर्व में उनके बाबा मंगना बैगा फिर प्रेमलाल बैगा और अब राजू बैगा माता रानी की सेवा कर रहे हैं। इस बीच अन्य पुजारी भी यहां आए लेकिन ज्यादा दिनों तक माता रानी की सेवा नहीं कर पाए।
नारियल से समस्या का करते थे समाधान
माता रानी की सेवा कर रहे बैगा परिवार के सदस्य संजू बैगा का कहना है कि माता रानी की सेवा करने वाले उनके पूर्वज नारियल की मदद से यहां आने वालों की समस्याओं का समाधान करते थे। संजू बताते हैं कि किसी का भी सामान गुमता था या कोई और समस्या होती थी तो वह माता रानी के दरबार में रखी नारियल को कान में लगाने के बाद कुछ बातें करते थे इसके बाद श्रद्धालुओं की समस्या का समाधान करते थे।