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शाहडोल

दो वर्ष तक प्राथमिक विद्यालय में पढ़ाया, अब रोजगार के लिए 10 वर्ष से दफ्तरों के काट रहा चक्कर

रोजगार मेले में भी गया पर आश्वासन के सिवा कुछ भी नहीं मिलापेंशन के भरोसे बच्चों का पेट पालने मजबूर शिक्षक, स्कूल से हटाया, रोजगार के नाम पर सिर्फ मिला आश्वासन

शाहडोलApr 05, 2021 / 12:07 pm

Ramashankar mishra

दो वर्ष तक प्राथमिक विद्यालय में पढ़ाया, अब रोजगार के लिए 10 वर्ष से दफ्तरों के काट रहा चक्कर

दो वर्ष तक प्राथमिक विद्यालय में पढ़ाया, अब रोजगार के लिए 10 वर्ष से दफ्तरों के काट रहा चक्कर

शहडोल. हाथ और पैर से दिव्यांग होने के बाद भी सियाशरण के मन में काम करने की ललक है। जिसके लिए वह पिछले दस वर्ष से शासकीय कार्यालयों के चक्कर काट रहा है। दु:खद पहलू यह है कि अफसरों और जनप्रतिनिधियों से आश्वासन के सिवा उसे कुछ नहीं मिल रहा है। सियाशरण विकलांगता पेंशन के भरोसे अपना व अपने परिवार का भरण पोषण कर रहा है। पेंशन भी इतनी ज्यादा नहीं मिलती कि उसका व परिवार का गुजारा चल सके। जयसिंहनगर के ग्राम बसोहरा निवासी सिया शरण यादव एक पैर और एक हाथ से दिव्यांग है। इसके बाद भी सियाशरण ने हार नहीं मानी। शिक्षित होने के साथ ही उसमें
काम करने का जज्बा आज भी बरकरार है।
आज भी बच्चे करते हैं याद
सियाशरण गांव के ही प्राथमिक विद्यालय में दो वर्ष तक अतिथि शिक्षक के रूप में पढ़ाने का काम किया है। जहां वह कक्षा पांचवी तक के बच्चों को बखूबी पढ़ाते थे। उनकी सहजता और सरलता के चलते स्कूली छात्र भी काफी रुचि से पढ़ते थे। दु:खद पहलू यह है कि अप्रैल 2010 में उन्हे स्कूल से बाहर कर दिया। जिसके बाद से सियाशरण लगातार रोजगार के लिए संघर्ष कर रहे हैं। अभी तक उन्हे कहीं भी ऐसा रोजगार नहीं मिला जिसके दम पर वह अपना व अपने परिवार का पेट पाल सके।
जहां भी गए आश्वासन ही मिला
स्कूल में पढ़ाने के लिए सियाशरण पिछले 10 वर्ष से जिला मुख्यालय के चक्कर लगा रहे हैं। कभी जनसुनवाई में तो कफी अफसरों के दफ्तर पहुंचकर अपनी व्यथा सुनाई। अवसर मिलने पर जनप्रतिनिधियों के समक्ष भी अपना दुखड़ा सुनाया। इस बीच सियाशरण को आश्वासन तो सभी ने दिया लेकिन उसे आज तक रोजगार कोई नहीं दिला पाया। यहां तक कि सियाशरण ने रोजगार मेले में पहुंचकर रोजगार की तलाश की लेकिन वहां से भी आश्वासन के सिवा कुछ भी नसीब नहीं हुआ।

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