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शाहडोल

बीमार विधायक के इलाज के लिए डॉक्टर ने नहीं खोला दरवाजा, सीएस भी घनघनाते रहे फोन, नहीं हुआ रिसीव

जिला अस्पताल में फिर डॉक्टरों की लापरवाही उजागर, प्रबंधन ने नोटिस देकर मांगा जवाब

शाहडोलMar 19, 2019 / 12:55 pm

shubham singh

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शहडोल। जिला अस्पताल में डॉक्टरों की लापरवाही का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। जिला अस्पताल में सोमवार को फिर डॉक्टरों की लापरवाही उजागर हुई है। यहां आईसीयू में भर्ती बीमार विधायक को इलाज के लिए काफी समय तक डॉक्टर का इंतजार करना पड़ा। डॉक्टर अब्दुल वसीम को अस्पताल में मौजूद स्वास्थ्यकर्मियों ने कई बार फोन किया लेकिन नहीं उठा। इसके बाद डॉक्टर के घर अस्पताल से कर्मचारियों को भेजा गया लेकिन दरवाजा नहीं खुला। जानकारी मिलते ही जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ उमेश नामदेव अस्पताल पहुंच गए और कई डॉक्टरों को मौके पर बुलाया लेकिन डॉ वसीम नहीं पहुंचे। मामले में लापरवाही पर अस्पताल प्रबंधन ने डॉ अब्दुल वसीम को नोटिस देकर जवाब मांगा है।
सुबह पांच बजे भर्ती, सात बजे कॉल बैक फिर इलाज
विधायक जयसिंहनगर जयसिंह मरावी को चक्कर आने और घबराहट के बाद सुबह पांच बजे अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया था। अस्पताल में मौजूद कर्मचारियों ने डॉ वसीम को फोन किया लेकिन रिसीव नहीं हुआ। सुबह डॉ हर्ष श्रीवास्तव ऑन ड्यूटी थे और इलाज के लिए पहुंचे। इसके बाद डॉ अब्दुल वसीम को फोन किया गया। बाद में घर अस्पताल से कर्मचारी को भेजा गया लेकिन दरवाजा नहीं खुला। सिविल सर्जन डॉ उमेश नामदेव पहुंचे और डॉ वसीम के साथ डॉ जीतेन्द्र शर्मा को फोन लगाए। सिविल सर्जन का फोन भी डॉ वसीम ने नहीं उठाया। बाद में डॉ जीतेन्द्र शर्मा भी इलाज के लिए अस्पताल पहुंचे। काफी समय बाद डॉ वसीम का सिविल सर्जन को कॉल बैक आया। इस बीच मेडिसिन स्पेशलिस्ट कर कई घंटे तक इंतजार कर सिलसिला चलता रहा।
सीएस का भी नहीं उठाया फोन, बाद में कॉल बैक
इस पूरे वाक्या के दौरान सिविल सर्जन डॉ उमेश नामदेव सुबह से ही अस्पताल में मौजूद रहे। सिविल सर्जन ने डॉ अब्दुल वसीम को दो बार फोन लगाया लेकिन नहीं उठाया। इसके बाद लगभग एक से डेढ़ घंटे बाद डॉ वसीम का सिविल सर्जन को फोन आया। यहां पर सिविल सर्जन ने नाराजगी जताते हुए विधायक के भर्ती होने की जानकारी दी और इमरजेंसी के दौरान फोन न उठाने पर फटकार लगाई। काफी समय बाद में डॉ वसीम अस्पताल पहुंचे।
पत्रिका व्यू : कैसे पूरा होगा आदर्श अस्पताल का सपना
जिला अस्पताल में विधायक को डॉक्टर के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि आम जनता को इलाज के लिए कितनी मशक्कत करनी पड़ती होगी। हाल ही में अधिकारियों ने जिला अस्पताल को आदर्श अस्पताल बनाने की बात कही थी। क्या इस तरह ही जिला अस्पताल को आदर्श अस्पताल का दर्जा मिलेगा। कभी सोनोग्राफी बंद हो जाती है तो कभी डॉक्टरों के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है। संभाग का सबसे बड़ा अस्पताल होने की वजह से शहडोल, उमरिया अनूपपुर के अलावा ङ्क्षडडौरी और छग के जनकपुर तक से मरीज बेहतर इलाज की आस में पहुंचते हैं। लापरवाह अधिकारी और डॉक्टरों पर नकेल कसने से ही व्यवस्थाओं में सुधार आएगा।
विधायक सुबह अस्पताल में भर्ती थे। मैं खुद अस्पताल पहुंच गया था। डॉक्टरों को तत्काल बुलाया और इलाज शुरू कराया। डॉ वसीम को दो बार मैनें भी फोन किया लेकिन रिसीव नहीं हुआ । घर का दरवाजा भी नहीं खुला था। नोटिस देकर जवाब मांगा है कि आखिर क्यों इस तरह की लापरवाही बरती गई।
डॉ उमेश नामदेव, सिविल सर्जन
जिला अस्पताल शहडोल
चक्कर और घबराहट की वजह से अस्पताल सुबह गया था। जानकारी मिलते ही अस्पताल के अधिकारी आ गए थे। बेहतर तरीके से इलाज किया। अब पहले से स्वस्थ हूं।
जयसिंह मरावी, विधायक जयसिंहनगर

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