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शाहडोल

कुपोषण के कुचक्र में आदिवासी समुदाय, क्रूर पंजे में फंसी 25 हजार बच्चों की जान

गांव-गांव कुपोषण का दंश है

शाहडोलNov 25, 2020 / 12:17 pm

amaresh singh

Tribal communities in the vicious cycle of malnutrition

कुपोषण के कुचक्र में आदिवासी समुदाय, क्रूर पंजे में फंसी 25 हजार बच्चों की जान

शहडोल. आदिवासी अंचल में कुपोषण जन्म लेते ही मासूमों को अपने क्रूर पंजे में ले रहा है। गांव-गांव कुपोषण का दंश है। सरकार के तमाम दावे ध्वस्त हैं। मैदानी स्थिति एकदम अलग हैं। लचर स्वास्थ्य सिस्टम की स्थिति यह है कि गर्भकाल में ही महिलाएं एनीमिक हो जाती हैं। इसका सीधा असर गर्भ में पल रहे बच्चों पर पड़ता है। पैदा होने वाले बच्चे अपंग पैदा हो रहे हैं। कई बच्चों का गर्भकाल में सिर ही नहीं बन रहा है। थोड़ा उम्र के आगे बढ़ते ही बच्चे कुपोषित हो जा रहे हैं। इसमें अधिकांश बच्चे आदिवासी समुदाय के हैं। संभाग में हर साल कुपोषण मुक्ति के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च हो रहे हैं लेकिन सालों से स्थिति जस की तस है।

शहडोल: गांव-गांव कुपोषण, 16 हजार से ज्यादा बच्चे कुपोषित
शहडोल। आदिवासी बहुल जिले में बच्चे कुपोषण की चपेट में आते जा रहे हैं। सरकारी योजनाएं चल रही हैं लेकिन इन योजनाओं का लाभ जमीनी धरातल पर बच्चों को नहीं मिल पा रहा है। बच्चों को कुपोषण से बचाने आंगनबाड़ी केन्द्रों में पोषण आहार सहित अन्य योजनाएं चल रही है लेकिन इसके बावजूद आदिवासी बहुल जिले में कुपोषण बढ़ता जा रहा है। महिला बाल विकास विभाग का मैदानी अमला बच्चों को कुपोषण से बचाने में सफल साबित नहीं हो पा रहा है। शहडोल जिले में वर्तमान में 16114 बच्चे कुपोषण की चपेट मे हैं। इसमें 14 हजार 308 बच्चे कुपोषित हैं। इसके अलावा गंभीर कुपोषित की श्रेणी में 1806 बच्चे हैं। महिला बाल विकास के आंकड़ों पर नजर डालें तो जिले में सबसे ज्यादा बुढ़ार में मध्यम कुपोषित बच्चे हैं। बुढ़ार में मध्यम कुपोषित बच्चों की संख्या 3409 हैं। वहीं गंभीर कुपोषित बच्चों की संख्या 360 हैं। मध्यम कुपोषित बच्चों की सबसे कम संख्या शहडोल नवीन में हैं। यहां पर 547 कुपोषित बच्चे हैं जबकि गंभीर कुपोषित बच्चों की संख्या 54 हैं। गंभीर कुपोषित बच्चों में सबसे ज्यादा जयसिंहनगर में हैं। यहां गंभीर कुपोषित 451 बच्चे हैं।

स्थान कुपोषित गंभीर कुपोषित
ब्यौहारी 2490 249
बुढ़ार 3409 360
जयसिंहनगर 3103 451
पाली वन 1750 173
शहडोल नवीन 547 54
सोहागपुर 3009 519
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अनूपपुर: कागजों में कुपोषण से जंग, 5 हजार से ज्यादा बच्चे कुपोषित
अनूपपुर। अनूपपुर जिला आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है। कागजों पर शासकीय योजनाओं के क्रियान्वयन के चलते बच्चे कुपोषण का शिकार हो रहे हैं। जन्म के बाद कुपोषित बच्चे अतिकुपोषित की श्रेणी में शामिल हो जाते हैं। इनमें अधिकांश बच्चे इस कुपोषण से बाहर नहीं पाते और असामायिक मौत के शिकार बन जाते हैं। इस वर्ष भी जिले में 0 से 5 वर्ष के लगभग 5676 कुपोषित बच्चे पाए गए हैं। इनमें 616 बच्चे अतिकुपोषित हैं। महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा इस वर्ष अनूपपुर, जैतहरी, कोतमा और पुष्पराजगढ़ विकासखंड में कुपोषित बच्चों के सर्वेक्षण में 59361 बच्चों को चिह्नित किया। जिसमें चारो विकासखंड से 5676 बच्चे कुपोषित पाए गए हैं।
विकासखंड कुपोषित अतिकुपोषित
अनूपपुर 1372 177
जैतहरी 1217 91
कोतमा 906 87
पुष्पराजगढ़ 2181 261
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उमरिया: 35 सौ से ज्यादा बच्चे जिंदगी मौत से लड़ रहे जंग
उमरिया में 35 सौ से ज्यादा मासूम कुपोषित होने के बाद जिंदगी मौत से जूझ रहे हैं। गांवों में कुपोषण का दंश है। यहां पूर्व में कुपोषण से बच्चों की मौत भी हो चुकी है। यहां पाली के सलैया गांव में कुपोषण के भयावह स्थिति देखने को मिली थी। एम्स में मासूम ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था। विभागीय अधिकारियों के अनुसार 35 सौ से ज्यादा बच्चे कुपोषण का शिकार हैं। यहां 3198 बच्चे कुपोषित हैं। इसके अलावा 505 बच्चे अतिकुपोषण की श्रेणी में है। कुपोषण खत्म करने आयोग से लेकर बड़े अफसर संज्ञान ले चुका है लेकिन सालों बाद भी स्थिति जस की तस है।

कुपोषण के खिलाफ लगातार अभियान चला रहे हैं। हर माह समीक्षा की जा रही है। पहले से कुपोषण के मामलों में कमी भी आई है। बच्चों को कुपोषण मुक्त करने हरसंभव प्रयास किया जा रहा है।
नरेश कुमार पाल, कमिश्नर शहडोल संभाग

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