दरअसल, जिले की ग्रामीण महिलाएं खुद आत्मनिर्भर बनने के साथ ही सशक्त हो रही हैं। उन्होंने सिलाई-कढ़ाई का काम हाथ में लिया है, जिससे उनका समय भी कट जाता है और वे आर्थिक रूप से भी मजबूत हो रही हैं, क्योंकि समूह के रूप में उन्हें यूनिफार्म सिलने पर कुछ राशि मिलती है, ऐसे में उन्होंने अभी तक करीब २ लाख से अधिक गणवेश तैयार कर दिए हैं।
201 समूह ने तैयार की 2 लाख से अधिक गणवेश
जिले में करीब 201 महिलाओं के समूह ने करीब 2 लाख 11 हजार 958 यूनिफार्म तैयार कर दी है, जो जिले के करीब 1996 शासकीय विद्यालयों के बच्चों को प्रदान की जाएगी।
प्रति यूनिफार्म 50 से 80 रुपए
महिलाओं को यूनिफार्म क सिलाई, बटन, प्रेस, पैकजिंग और विद्यालयों में वितरण की जिम्मेदारी भी सौंपी गई है। इस मान से उन्हें प्रति यूनिफार्म करीब 50 से 80 रुपए शासन द्वारा मुहैया कराए जा रहे हैं। जिसमें प्रति गणवेश आने वाले खर्च के बाद बची हुई राशि लाभ रहेगी। इस प्रकार अब तक करीब 1900 विद्यालयों में गणवेश भी वितरित कर दी गई है।