script25 के बाद बारिश की संभावना, बोवनी से पहले इसका रखें ध्यान | After 25, the possibility of rain, keep it carefully before sowing | Patrika News
शाजापुर

25 के बाद बारिश की संभावना, बोवनी से पहले इसका रखें ध्यान

खेती-किसानी: कृषि वैज्ञानिकों ने कहा-४ इंच बारिश के बाद ही करें बोवनी , गत वर्ष प्री-मानसून में बोवनी करने पर उठाना पड़ा था नुकसान सोयाबीन बोवनी का समय २५ जून से ५ जुलाई तक

शाजापुरJun 21, 2019 / 12:22 am

rishi jaiswal

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शाजापुर. दो दिन पहले प्री-मानसून बारिश ने क्षेत्र को तरबतर कर दिया था, इस दौरान शहर में ३५ एमएम बारिश दर्ज की गई थी। लेकिन किसानों को अभी बोवनी के लिए बारिश का इंतजार करना होगा। इस बार प्री-मानसून की बारिश नहीं हुई है, ऐसे में किसानों ने अब तक अपने खेतों को फसलों की बुआई नहीं की है। जिससे अब किसानों को सही समय २५ जून से ०५ जुलाईतक खेतों में बुआई करने मौका मिल सकता है। जिससे बेहतर उत्पादन की संभावनाएं भी बढ़ जाएंगी। हालांकि अभी किसानों की आंख आममान को ताख रही है।
बता दें कि किसानों ने पहले ही अपने खेतों की जुताई कर खरीफ फसल की बुआई कर ली है। किसान अब बारिश का इंतजार कर रहे हैं। इधर मौसम विभाग ने मानसून में देरी बताई है, जिससे किसानों की चिंता बढ़ी हुई है। मौसम विभाग के अनुसार २८ जून तक मानसून की संभावना है, हालांकि इसके पहले भी प्री-मानसून की संभावना जताई जा रही है।
जिले में खरीफ की मुख्य फसल सोयाबीन है। जो करीब ढाई लाख हैक्टेयर में बोई जाती है। ९० दिन की इस फसल की बोवनी आषाढ़ की बारिश में की जाती है। जिसका किसानों को बेसब्री से इंतजार है। किसान आसमान की ओर टकटकी निगाह से देखते है कि बारिश कब होगी।
पर्याप्त नमी होने पर करें बोवनी-वैज्ञानिक डॉ. एसएस धाकड़ बताया कि मानसून आगमन के पश्चात भूमि में पर्याप्त नमी कम से कम 100 एमएम (४ इंच) बारिश होने की स्थिति में ही सोयाबीन की बोवनी करें। सोयाबीन के बीज का आकार एवं अंकुरण क्षमता के अनुसार छोटे दाने वाली प्रजातियों का बीज दर 55-6 0 किग्रा प्रति हेक्टेयर, मध्यम आकार के बीज 6 0-6 5 किग्रा प्रति हेक्टेयर एवं बड़े दाने वाली किस्म के बीज का 70-75 किग्रा प्रति हेक्टेयर रखें।
२८ तक हो सकता है मानसून का आगमन-मौसम विभाग के मुताबिक मानसून का आगमन २८ जून तक हो सकता है। मौसम पर्यवेक्षक सत्येंद्रकुमार धनोतिया के मुताबिक दो दिन पहले प्री-मानूसन की बारिश हुई थी। लेकिन इसके बाद फिर मौसम खुल गया। अब २८ जून के बाद मानसून आने की संभावना है, जो जुलाईमाह में भी पहुंच सकता है।
कृषि विभाग ने दी किसानों को सलाह
उप संचालक कृषि आरपीएस नायक ने किसानों से अपील की है कि खरीफ फसल की बोवनी के लिए खेत की जुताई कर तैयार कर लें और पुराने फसलों के अवशेष को एकत्रित कर उनका जैविक खाद बनाने में उपयोग करें। अवशेष को जलाए नहीं क्योंकि जलाने से भूमि की उर्वरा शक्ति कम होती हैं एवं फसलों के मित्रकिट नष्ट हो जाते हैं तथा वायुमंडल में कार्बन की मात्रा बढ़ती है। बोवनी के पूर्व कृषक भाई आदान के तौर पर बीज निगम एवं सहकारी संस्थाओं के माध्यम से आवश्यकता अनुसार आधार या प्रमाणित बीज बोने के लिए क्रय करें एवं बीज के 100 दाने को गीले टाट में रख कर अंकुरण का परीक्षण करें। 100 में से 70 दाने सोयाबीन के अंकुरित हो तो बीज बोने योग्य है, यदि अंकुरण 70 प्रतिशत से कम होने पर बीज दर बढ़ाकर बोनी करें।
बोनी से पूर्व बीजों को थायरम, बाविस्टिन या बिटावेक्स की 2 ग्राम मात्रा प्रति किलो बीज के हिसाब से या ट्रायकोडरमा बिरिडी 5 ग्राम प्रति किलो बीज के हिसाब से राईजोबियम कल्चर का उपयोग करें। बोनी सिड्कम फर्टीलाइजर ड्रिल से करें। खाद एवं बीज को मिला कर न बोएं। बोनी 4 इंच या 10० एमएम वर्षा होने के बाद ही करें। अंतरवर्ती फसलों में सोयाबीन की चार लाइन के बाद दो लाइन ज्वार या अरहर या मक्का बोएं जिससे कम क्षेत्र में अधिक उत्पादन किया जा सके। बोनी ढाल के विपरित दिशा में करें। कृषि आदान लेते समय पक्का बिल जरूर लें यदि संबंधित विक्रेता बिल देने से मना करें तो इसकी सूचना तत्काल ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी, वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी, अनुविभागीय कृषि अधिकारी या किसान कल्याण तथा कृषि विकास शाजापुर को दें।
गत वर्ष करना पड़ी थी दोबारा
वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक जीआर अंबावतिया बताते हैं कि बोवनी का सही समय २५ जून से ५ जुलाई तक हैं। गत वर्ष प्री-मानसून की बारिश में किसानों ने २० जून के पहले ही खरीफ फसल की बोवनी कर दी थी। लेकिन इसके बाद हुई बारिश की खेंच से किसानों को काफी परेशानी हुईसाथ ही नुकसान भी उठाना पड़ा। ऐसे में अनेक किसानों को दोबारा बोवनी करना पड़ी थी। इस बार मानसून में हुई देरी किसानों के लिए लाभकारी साबित हो सकती है।

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