उप संचालक कृषि आरपीएस नायक ने किसानों से अपील की है कि खरीफ फसल की बोवनी के लिए खेत की जुताई कर तैयार कर लें और पुराने फसलों के अवशेष को एकत्रित कर उनका जैविक खाद बनाने में उपयोग करें। अवशेष को जलाए नहीं क्योंकि जलाने से भूमि की उर्वरा शक्ति कम होती हैं एवं फसलों के मित्रकिट नष्ट हो जाते हैं तथा वायुमंडल में कार्बन की मात्रा बढ़ती है। बोवनी के पूर्व कृषक भाई आदान के तौर पर बीज निगम एवं सहकारी संस्थाओं के माध्यम से आवश्यकता अनुसार आधार या प्रमाणित बीज बोने के लिए क्रय करें एवं बीज के 100 दाने को गीले टाट में रख कर अंकुरण का परीक्षण करें। 100 में से 70 दाने सोयाबीन के अंकुरित हो तो बीज बोने योग्य है, यदि अंकुरण 70 प्रतिशत से कम होने पर बीज दर बढ़ाकर बोनी करें।
बोनी से पूर्व बीजों को थायरम, बाविस्टिन या बिटावेक्स की 2 ग्राम मात्रा प्रति किलो बीज के हिसाब से या ट्रायकोडरमा बिरिडी 5 ग्राम प्रति किलो बीज के हिसाब से राईजोबियम कल्चर का उपयोग करें। बोनी सिड्कम फर्टीलाइजर ड्रिल से करें। खाद एवं बीज को मिला कर न बोएं। बोनी 4 इंच या 10० एमएम वर्षा होने के बाद ही करें। अंतरवर्ती फसलों में सोयाबीन की चार लाइन के बाद दो लाइन ज्वार या अरहर या मक्का बोएं जिससे कम क्षेत्र में अधिक उत्पादन किया जा सके। बोनी ढाल के विपरित दिशा में करें। कृषि आदान लेते समय पक्का बिल जरूर लें यदि संबंधित विक्रेता बिल देने से मना करें तो इसकी सूचना तत्काल ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी, वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी, अनुविभागीय कृषि अधिकारी या किसान कल्याण तथा कृषि विकास शाजापुर को दें।
वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक जीआर अंबावतिया बताते हैं कि बोवनी का सही समय २५ जून से ५ जुलाई तक हैं। गत वर्ष प्री-मानसून की बारिश में किसानों ने २० जून के पहले ही खरीफ फसल की बोवनी कर दी थी। लेकिन इसके बाद हुई बारिश की खेंच से किसानों को काफी परेशानी हुईसाथ ही नुकसान भी उठाना पड़ा। ऐसे में अनेक किसानों को दोबारा बोवनी करना पड़ी थी। इस बार मानसून में हुई देरी किसानों के लिए लाभकारी साबित हो सकती है।