कथा में परीक्षित जन्म का वर्णन किया। कथा के अंत में कपिल चरित्र का भी वर्णन किया गया। कपिल भगवान ने माता देवहूति से कहा कि ये आसक्ति ही सुख-दुख का कारण है। यदि संसार में ये आसक्ति है, तो दुख का कारण बन जाती है। यही आसक्ति भगवान और उनमें भक्ति में हो जाए तो मोक्ष का द्वार खुल जाता है। ऋषभ देव के चरित्र वर्णन करते हुए कहा कि मनुष्य को ऋषभ देव जैसा आदर्श पिता होना चाहिए। जिन्होंने अपने पुत्रों को समझाया कि इस मानव शरीर को पाकर दिव्य तप करना चाहिए, जिससे अंत:करण की शुद्धि हो तभी उसे अनंत सुख की प्राप्ति हो सकती है। भगवान को अर्पित भाव से किया गया कर्म ही दिव्य तप है। कथा में कई भजनों की प्रस्तुतियां दी गईं, जिसमें श्रद्धालुओं ने नाचते-झूमते कथा का आनंद उठाया। सर्वसमाज द्वारा कराहल में यह भागवत कथा आयोजित की जा रही है।