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श्योपुर

भगवान सुमिरन करने से ही भवसागर को पार किया जा सकता है

भागवत कथा के दूसरे दिन परीक्षित का जन्म, कलियुग का प्रवेश सहित अन्य वृतांत सुनाए

श्योपुरMar 18, 2020 / 07:59 pm

महेंद्र राजोरे

भगवान सुमिरन करने से ही भवसागर को पार किया जा सकता है

कथा का रसपान कराते आचार्य राहुल शास्त्री।

कराहल. वीर तेजाजी महाराज परिसर में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन परीक्षित का जन्म, कलियुग का प्रवेश, कपिल भगवान की कथा का सारगर्भित वृतांत कथा वाचक आचार्य राहुल शास्त्री ने सुनाया। उन्होंने बताया कि कर्म के अनुसार मनुष्य को जन्म मिलता है तब जन्म से मृत्यु तक जीव सुख की तलाश में रहता है उसे वह सुख केवल भागवत प्रेम से ही प्राप्त होता है। शास्त्री ने प्रेमाभाव का विस्तार से वर्णन समझाया। कलयुग में भगवान का केवल मात्र सुमिरन करने से ही भवसागर को पार किया जा सकता है।

कथा में परीक्षित जन्म का वर्णन किया। कथा के अंत में कपिल चरित्र का भी वर्णन किया गया। कपिल भगवान ने माता देवहूति से कहा कि ये आसक्ति ही सुख-दुख का कारण है। यदि संसार में ये आसक्ति है, तो दुख का कारण बन जाती है। यही आसक्ति भगवान और उनमें भक्ति में हो जाए तो मोक्ष का द्वार खुल जाता है। ऋषभ देव के चरित्र वर्णन करते हुए कहा कि मनुष्य को ऋषभ देव जैसा आदर्श पिता होना चाहिए। जिन्होंने अपने पुत्रों को समझाया कि इस मानव शरीर को पाकर दिव्य तप करना चाहिए, जिससे अंत:करण की शुद्धि हो तभी उसे अनंत सुख की प्राप्ति हो सकती है। भगवान को अर्पित भाव से किया गया कर्म ही दिव्य तप है। कथा में कई भजनों की प्रस्तुतियां दी गईं, जिसमें श्रद्धालुओं ने नाचते-झूमते कथा का आनंद उठाया। सर्वसमाज द्वारा कराहल में यह भागवत कथा आयोजित की जा रही है।
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