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श्योपुर

एमआर टीका से बिगड़ी छात्रा की तबीयत, उपचार के बाद बची जान

– इलाज में खर्च हो गए २.५० लाख रुपए, अब छात्रा बेडरेस्ट पर- कक्षा ५ की छात्रा को जनवरी माह में स्कूल में लगाया गया था टीका

श्योपुरApr 03, 2019 / 08:30 pm

Anoop Bhargava

sheopur

एमआर टीका से बिगड़ी छात्रा की तबीयत, उपचार के बाद बची जान

पत्रिका एक्सक्लूसिव
श्योपुर
मीजल्स-रुबेला का एमआर टीकालगने से एक छात्रा की तबीयत इतनी खराब हो गई कि राजस्थान के कोटा में उपचार के बाद जान बच सकी। २४ जनवरी को उसे स्कूल में एमआर टीका लगाया गया था। बताते है कि छात्रा को रिएक्शन के चलते दिमाग की बीमारी हो गई, जिससे उसके पैरों ने काम करना बंद कर दिया। हालांकि उपचार के बाद छात्रा के स्वास्थ्य में सुधार हुआ है। लेकिन इलाज में करीब २.५० लाख रुपए खर्च हो गए। कक्षा पांचवी की छात्रा दिव्या को डॉक्टरों ने बेडरेस्ट की सलाह दी है।
परिजनों ने बताया कि तबीयत बिगडऩे पर बच्ची को जिला अस्पताल लेकर पहुंचे थे, लेकिन यहां डॉक्टरों को बीमारी समझ नहीं आई। इसके बाद उसे इलाज के लिए कोटा लेकर पहुंचे थे। जांच के बाद एडीईएम बीमारी सामने आई जिसे दिमाग की बीमारी कहते हैं। एक्सपर्ट बताते हैं कि यह बीमारी पोस्ट वैक्सीनेशन या बुखार के बाद किसी को भी हो सकती है। स्वास्थ्य विभाग को इस मामले की जानकारी परिजनों ने दी थी इसके बाद भी उन्हें कोई मदद नहीं मिली।
पैरो में हुआ था दर्द
श्योपुर के पाली रोड निवासी गिर्राज सोलंकी की बेटी दिव्या उर्फ गर्विता को २४ जनवरी को एमआर टीका लगा था। टीका लगने के कुछ दिन बाद गर्विता के पैरों में दर्द शुरु हुआ। दर्द रूकने के बजाय बढ़ता चला गया। बाद दोनों पैर व कमर ने काम करना बंद कर दिया। उसकी आवाज भी तुतलाने लगी। बच्ची की स्थित देख परिजन उसे जिला अस्पताल लेकर पहुंचे, लेकिन डॉक्टरों को बीमारी समझ नहीं आई, तो उन्होंने बच्ची को बाहर ले जाने की सलाह दी।
१८ इंजेक्शन लगे, तब जाकर मिला आराम
पिता गिर्राज सोलंकी ने बताया कि राजस्थान के कोटा में सरकारी अस्पताल में जांच के दौरान पता चला कि गर्विता को एडीईएम नाम दुर्लभ बीमारी है। कोटा में भर्ती रखकर वहां के डॉक्टरों ने उसका इलाज किया और १८ इंजेक्शन लगे। तब कहीं जाकर बच्ची की जान बच सकी। एक इंजेक्शन करीब १३ हजार रुपए का था।
एक्सपर्ट व्यू
पोस्ट वेक्सीनेशन या बुखार के बाद इस तरह की बीमारी किसी को भी हो सकती है। तुरंत इलाज मिलने पर मरीज ठीक हो जाता है। रियर केस में यह बीमारी घातक भी हो सकती है।
डॉ दिनेश उदैनिया
न्यूरोलॉजिस्ट एवं विभागाध्यक्ष न्यूरोलॉजी विभाग, जेएएच ग्वालियर
वर्जन
बच्ची के बीमार होने की जानकारी मिली थी। इलाज के बाद बच्ची ठीक है। ऐसा पता चला है। परिजनों ने एमआर टीके से बीमार होने की जानकारी दी। जांच रिपोर्ट देखने पर सामने आया कि यह बीमारी कम ही लोगों को होती है।
डॉ प्रदीप शर्मा
जिला टीकाकरण अधिकारी,श्योपुर

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