पहले किया जाएगा ग्रामीणों को संतुष्ट
एसपी शिवदयाल सिंह ने बताया कि, इस कॉम्बिंग ऑपरेशन को जुलाई से शुरु किया जाएगा, इसके तहत 100 से ज्यादा चौपालें लगाकर शराबमाफियाओं से जुड़ी जानकारी जुटाई जाएगी। जानकारी स्पष्ट होने के बाद उनपर कार्रवाई की जाएगी। एसपी ने बताया कि, इस सब से पहले जब हम किसी गांव में चौपाल लगाएंगे, जिसमें सबसे पहले इलाके के लोगों को यह भरोसा दिलाया जाएगा कि, हर स्थिति में पुलिस और प्रशासन उनके साथ है, उन्हें बस सत्य का साथ देते हुए अवैध करोबारियों का सुराग जुटाकर पुलिस को देना है। एसपी सिंह ने कहा कि, हमें ग्रामीणों के सामने इस बात को भी याद दिलाना होगा कि, अगर आज वह इस नकली और अवैध शराब के कारोबार का विरोध नहीं करते, तो भविष्य में उन्हीं की पीड़ियां इसमें लिप्त होंगी, जिसका परिणाम भयावय हो सकता है।
ग्रामीणों से होंगे यह सवाल!
इसके बाद ग्रामीणों से पूछा जाएगा कि, गांव या उसके आस-पास के किन-किन इलाकों में शराब बेची जा रही है। अगर शराब बिचने को लेकर कोई जानकारी सामने आती है तो यह पता किया जाएगा कि, वह कारोबार कौन चला रहा है? कहां से गांवों में शराब आती है? कौन व्यक्ति इस काले कारोबार से जुड़ा है? ऐसे ही कुछ अन्य सवालों की जवाब हासिल करने के बाद आरोपियों की जांच शुरु की जाएगी। अगर जांच में अवैध शराब के कारोबार से जुड़ा कोई व्यक्ति पाया गया, तो उसपर इन्ही चौपालों में कार्रवाई की जाएगी। इस अभियान के तहत पुलिस का सबसे ज्यादा जोर कराहल ब्लॉक में रहेगा क्योंकि, वहां शराब पूरी तरह प्रतिबंधित है, इसके बाद भी कई बार यहां अवैध रूप से शराब बिकने की शिकायतें आती रहती हैं।
कॉम्बिंग ऑपरेशन के बारे में खास
किसी बीहड़ या जंगली इलाके में किसी बदमाश या डकैत को ढूंडने के लिए पुलिस द्वारा जो अभियान चलाया जाता है उसे पुलिस की भाषा में कॉम्बिंग ऑपरेशन कहा जाता है। कॉम्बिंग का अर्थ होता है, खोजबीन करना। इसी के चलते जिले के जो भी गांव पुलिस की नज़र में संदिग्ध हैं, वहां पुलिस कॉम्बिंग ऑपरेशन चलाकर उसके द्वारा संदिग्ध आरोपी की जांच की जाएगी। जांच में अगर वह दोषी पाया गया तो चौपाल में ही उसपर एफ आई आर दर्ज करके कार्रवाई की जाएगी।