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श्योपुर

इस स्कूल में 17 बच्चों पर दो शिक्षिकाएं, फिर भी पढऩे एक भी बच्चा नहीं आता

बमोरी हाला गांव के प्राथमिक स्कूल की स्थिति, सरकारी स्कूल में पढ़ाई न होने का हवाला देकर अभिभावक अपने बच्चों को भेज रहे निजी स्कूलों में, रोज खाली स्कूल में बैठकर लौट जाती है शिक्षिका

श्योपुरJul 23, 2019 / 08:41 pm

jay singh gurjar

sheopur

इस स्कूल में 17 बच्चों पर दो शिक्षिकाएं, फिर भी पढऩे एक भी बच्चा नहीं आता

श्योपुर,
शासन और प्रशासन भले ही सरकारी स्कूलों की शिक्षा में सुधार के दावे करे, लेकिन धरातल पर अभिभावक अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में भेजना भी पसंद नहीं कर रहे। इसका उदाहरण है, श्योपुर जिले के बमोरी हाला गांव का प्राथमिक स्कूल, जहां गांव के बच्चों के नाम भी दर्ज है, लेकिन पढऩे एक भी बच्चा नहीं आ रहा। यहां अभिभावक अपने बच्चों को पास के गांव के एक निजी स्कूल में पढऩे भेज रहे हैं। जबकि इस स्कूल में दो शिक्षिकाएं पदस्थ हैं।
जिले की ग्राम पंचायत हलगांवड़ा बुजुर्ग के ग्राम बमोरी हाला में संचालित शासकीय प्राथमिक विद्यालय में कक्षा 1 से 5 तक की कक्षाओं में कुल 17 बच्चे दर्ज हैं और इन्हें पढ़ाने के लिए यहां दो शिक्षिकाएं पदस्थ हैं। लेकिन इस सत्र में जब से स्कूल खुला है, तब से एक भी बच्चा पढऩे नहंीं आ रहा है। बल्कि अभिभावक अपने बच्चों को चंद्रपुरा के एक निजी स्कूल में पढऩे भेज रहे हैं। अभिभावकों का दो टूक कहना रहता है कि यहां कोई पढ़ाई नहीं होती, लिहाजा हम बच्चों को निजी स्कूल में भेज रहे हैं। यही वजह है कि शिक्षिका रोजाना खाली स्कूल खोलती और बिन बच्चों के स्कूल में बैठकर लौट जाती है। हालांकि पिछले सत्र में यहां 14 बच्चे दर्ज थे, जिनमें से 8 बच्चे पढऩे आते भी थे, लेकिन इस नए सत्र में तो एक भी बच्चा पढऩे नहीं आ रहा है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि विभागीय अफसर आखिर क्या मॉनिटरिंग कर रहे हैं।
दो शिक्षिकाएं पदस्थ, एक मेडीकल छुट्टी पर
जहां जिले के कई स्कूल शिक्षक विहीन चल रहे हैं, वहीं महज 17 बच्चों की संख्या पर बमोरी हाला के प्राथमिक स्कूल में दो-दो शिक्षिकाएं पदस्थ हैं। यहां सहायक अध्यापकद्वय उमादेवी परमार और मंजू नरवरिया पदस्थ हैं, जिसमें से शिक्षिका नरवरिया एक माह से मेडीकल लीव पर चल रही हैं, जबकि शिक्षिका परमार विद्यालय की प्रभारी हैं। इनका कहना है कि इस स्थिति को लेकर मंै वरिष्ठ अधिकारियों को लिखित में भी दे चुकी हूं।
1972 में खुला गांव ये प्राथमिक स्कूल
बताया गया है कि ग्राम बमोरी हाला में वर्ष 1972 में ये प्राथमिक स्कूल खोला गया था। वर्तमान में विद्यालय एक क्षतिग्रस्त अतिरिक्त कक्ष में संचालित है। एक भी बच्चा नहीं होने के बाद विभाग यहां लाखों रुपए खर्च कर रहा है, लेकिन विभागीय अफसर आंखें मूंदे हुए हैं। दोनों शिक्षिकाओं के वेतन की ही बात करें तो लगभग 80 हजार रुपए प्रतिमाह दिया जा रहा है। वहीं समूह को मध्यान्ह भोजन के नाम पर अलग भुगतान हो रहा होगा।

गंभीर बात है, दिखवाऊंगा
यदि ऐसा है तो ये गंभीर बात है, इसे मैं दिखवाऊंगा। आज तो मैं हाइकोर्ट ग्वालियर में हूं, लेकिन यहां से लौटकर पूरी जानकारी लूंगा।
वकील सिंह रावत
जिला शिक्षा अधिकारी, श्योपुर

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