सावन का सोमवार शहर के इन मंदिरों में उमड़ी शिव भक्तों की भीड़, ऐसा है इन मंदिरों का इतिहास
इसी क्रम में सिद्धेश्वर मंदिर का निर्माण किया गया था। मंदिर में स्थापित शिवलिंग ओमकारेश्वर से लाया गया तथा उसके चारों तरफ बारह ज्योर्तिलिंग स्थापित किए गए। महत्वपूर्ण बात यह है कि भदैया कुंड, छत्री, जाधव सागर व सिद्धेश्वर मंदिर एक लाइन में मौजूद हैं जिनका वास्तु के रूप में अधिक महत्व है। नरवर के राजाओं की छत्रियां भी इस मंदिर परिसर में मौजूद हैं। इस मंदिर में भगवान गणेश, कार्तिकजी, राम-जानकी, राधा-कृष्ण, विष्णु भगवान, की प्राचीन मूर्तियां भी मौजूद हैं। इस मंदिर में भगवान शिवलिंग व मूर्तिरूप में विराजे हैं।
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भरता है सिद्धेश्वर वाणगंगा मेला
यूं तो सावन के महीने में सिद्धेश्वर मंदिर पर महिला-पुरुष, बच्चे यहां बड़ी संख्या में पूजा करने आते हैं। पहले इस मंदिर में महंत हुआ करते थे, लेकिन बाद में प्रशासन ने इसे अपने अंडर कस्टडी लेकर ट्रस्ट बना दिया। इस मंदिर परिसर में ही दशहरे पर रावण दहन होता है, वहीं हर साल भरने वाला सिद्धेश्वर वाणगंगा मेले का भी आयोजन यहां किया जाता है। वर्तमान में भी यहां पर मेला संचालित हो रहा है। सिद्धेश्वर मंदिर में सभी भगवानों की मूर्तियां होने की वजह से यह शहर में एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां शिवजी के साथ-साथ सभी देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं।