पूर्वमंत्री इंद्रजीत कुमार की सहजता का अंदाजा इससे लगा सकते हैं कि चुनाव-प्रचार के दौरान कुछ उत्पाती लोगों ने जूतों की माला पहना दी थी, लेकिन गुस्सा प्रगट करने की बजाय सहज भाव से बोले कि हो सकता मैं इतने चरणों को अपने माथों पर न लगा पाता, लेकिन आपने जूतों की माला पहनाकर मुझे इतने लोगों का आशीर्वाद लेने का मौका दिया। मैं सदैव आभारी रहूंगा।
पूर्व मंत्री इंद्रजीत कुमार को तीन बार हार का सामना भी करना पड़ा है। परिसीमन के बाद सीधी से अलग होकर सिहावल सीट गठित हुई। 2008 में उन्होंने यहां से नामांकन दाखिल किया, लेकिन चंद मतों से हार गए। इसके बाद 2009 में लोकसभा चुनाव लड़े, लेकिन गोविंद मिश्रा से हार गए। 2014 में फिर लोस चुनाव में उतरे। इस बार रीति पाठक से हार मिली।
1972 में चुरहट से अर्जुन सिंह की पार्टी ने चंद्रप्रताप तिवारी को मैदान में उतार दिया। अर्जुन सिंह को सीधी विधानसभा से टिकट दिया गया। पर इंद्रजीत कुमार ने भी यहां से नामांकन दाखिल किया। मत विभाजन की आशंका पर अर्जुन सिंह ने छोटेलाल सिंह का ट्रक भेजकर इंद्रजीत को सांड़ा बुलाया। वे यहां समर्थकों संग पहुंचे। अर्जुन सिंह ने आश्वासन दिया कि इस चुनाव में मेरा साथ दीजिए, मैं आगामी चुनाव में आपको कांग्रेस से टिकट दिलाउंगा। तब इंद्रजीत ने नामांकन वापस ले लिया और कांग्रेस में शामिल हो गए। अर्जुन सिंह ने 1977 के विस चुनाव में इंद्रजीत को कांग्रेस से टिकट दिलवाई। वे यहां से सात बार विधायक बने।