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सीधी

सूखा राहत सर्वे में MP के इस जिले में भारी लापरवाही, एक सप्ताह बाद भी नहीं सौंपी रिपोर्ट

तहसीलदारों को रिमांडर: 7 नवंबर को सौंपनी थी रिपोर्ट, तहसीलदारों ने पीएस से मांगी थी मोहलत

सीधीNov 15, 2017 / 11:49 am

suresh mishra

Farmers

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सीधी। सूखा प्रभावित किसानों को राहत उपलब्ध कराने में जिला प्रशासन संजीदा नजर नहीं आ रहा। इसे राजस्व महकमे की लापरवाही ही कहेंगे कि प्रमुख सचिव के निर्देश के बाद भी तय समय पर सर्वे रिपोर्ट नहीं भेजा जा सकी। इसमें जिले में फसल नुकसानी, मुआवजे का आंकलन और वितरण रिपोर्ट देनी थी।
शासन ने इसके लिए 7 नवंबर तक का समय दिया था, लेकिन अफसरों ने एक सप्ताह बाद भी कलेक्टर कार्यालय को रिपोर्ट नहीं दी। प्रशासन की लापरवाही के चलते किसानों की उम्मीद टूटती जा रही है।
स्थानीय प्रशासन की लापरवाही भारी

जिले में धान, मक्का, उड़द, व मूंग ही मुख्य फसलें हैं। कुसमी, मझौली, बहरी और रामपुर नैकिन तहसील में अल्प बारिश से ज्यादा नुकसान हुआ है। राज्य शासन ने स्थिति को भांपते हुए जिले को सूखा प्रभावित घोषित कर दिया, लेकिन स्थानीय प्रशासन की लापरवाही भारी पड़ती नजर आ रही है। कलेक्टर ने तहसलीदारों को सर्वे रिपोर्ट तत्काल प्रस्तुत करने के निर्देश दिए थे।
भू-अभिलेख शाखा ने रिमांइडर पत्र जारी किया

इसके लिए उन्होंने प्रमुख सचिव द्वारा निर्धारित डेडलाइन का भी हवाला दिया था। लेकिन 14 नवंबर तक सर्वे रिपोर्ट नहीं पहुंची। सूत्रों की मानें तो प्रमुख सचिव की वीडियो कांफ्रेंसिंग में तहसीलदारों ने कुछ दिन की मोहलत मांगी थी। उम्मीद थी कि 10 नवंबर तक वे रिपोर्ट प्रस्तुत कर देंगे, लेकिन 14 के बाद भी रिपोर्ट नहीं भेजी तो कलेक्ट्रेट भू-अभिलेख शाखा ने उन्हें रिमांइडर पत्र जारी किया है।
पटवारी बरत रहे लापरवाही
सूखा राहत सर्वे कार्य मे पटवारियों के द्वारा लापरवाही बरती जा रही है। पटवारियों के द्वारा किसानो के खेत मे जाकर सर्वे कराना उचित नहीं समझा जा रहा है। बल्कि घर बैठे दलालों के इशारे पर सर्वे की कोरम पूर्ति की जा रही है, ऐसी स्थिति मे सर्वे रिपोर्ट प्रस्तुत करने के बाद भी विवाद की स्थिति निर्मित होगी। जिस पर प्रशासन की ओर से सख्ती नहीं बरती जा रही है।
प्रमुख सचिव का निर्देश भी बेअसर
गत दिनों भावांतर भुगतान योजना की प्रगति समीक्षा करने सीधी प्रवास पर आईं खाद्य विभाग की प्रमुख सचिव नीलम शम्मीराव ने अधिकारियों को निर्देशित किया था कि किसानों को मंडी में उपज विक्रय करने के लिए प्रोत्साहित करें। मंडी में आने वाली कठिनाइयों को दूर की जाएं। उन्होंने मण्डी में साफ-सफाई, त्वरित व नकद भुगतान पर भी जोर दिया था। लेकिन मंडी प्रबंधन ने उनके निर्देशों को पालन नहीं किया।
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