घायल होने वाले बाघ की तुरंत लोकेशन नहीं मिल पाती, जिससे समय रहते उनका उपचार भी नहीं हो पाता। शिकारी भी जंगल की अव्यवस्था से वाकिफ हैं, और बाघों को निशाना बना लेते हैं। टाइगर रिजर्व के अधिकारी एक दर्जन बाघ होने का दावा करते हैं। इनमें एक नर, दो मादा सहित 9 शावक हैं। बांधवगढ़ से लाई गई अनाथ बाघिन को कालर आइडी लगाई गई थी, पर गत वर्ष उसकी मौत हो गई। अब यहां एक भी बाघ को कालर आइडी नहीं लगी।
इन बाघों को कॉलर आइडी जरूरी
विभागीय सूत्रों के अनुसार संजय टाइगर रिजर्व में डेवा बाघिन के 4 शावकों की कालरिंग करना जरूरी है। क्योंकि ये अक्सर अठखेलियां करते हुए बफर जोन के बाहर चले जाते हैं। यहां मानवद्वंद की भी आशंका बनी रहती है। हाल ही में ये दुबरी परिक्षेत्र से लगे छत्तीसगढ़ के गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान व शहडोल परिक्षेत्र में शिकार करते देखे गए थे। इसलिए मानवद्वंद की आशंका बनी रहती है। ऐसे में इनकी कालरिंग कर दी गई तो विभागीय अधिकारियों को इनके विचरण की लोकेशन मिलती रहेगी। लोकेशन ट्रैस होने से वे इनका भ्रमण बफर जोन में सुनिश्चित कर सकेंगे।
विभागीय सूत्रों के अनुसार संजय टाइगर रिजर्व में डेवा बाघिन के 4 शावकों की कालरिंग करना जरूरी है। क्योंकि ये अक्सर अठखेलियां करते हुए बफर जोन के बाहर चले जाते हैं। यहां मानवद्वंद की भी आशंका बनी रहती है। हाल ही में ये दुबरी परिक्षेत्र से लगे छत्तीसगढ़ के गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान व शहडोल परिक्षेत्र में शिकार करते देखे गए थे। इसलिए मानवद्वंद की आशंका बनी रहती है। ऐसे में इनकी कालरिंग कर दी गई तो विभागीय अधिकारियों को इनके विचरण की लोकेशन मिलती रहेगी। लोकेशन ट्रैस होने से वे इनका भ्रमण बफर जोन में सुनिश्चित कर सकेंगे।
मुख्य वन संरक्षक ने नहीं दिया पत्र का जवाब
संजय दुबरी टाइगर रिजर्व के उक्त शावक बाघों को वीएचएफ रेडियो कॉलर कराए जाने के लिए वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 12 बी के तहत आवश्यक अनुमति देने के लिए संजय टाइगर रिजर्व के क्षेत्र के तत्कालीन संचालक डॉ. दिलीप कुमार ने मुख्य वन संरक्षक भोपाल के पास पत्र लिखा था, जहां से अनुमति मिलने के बाद रेडियो कॉलर लगाने की बात कही जा रही थी, लेकिन आज तक पत्र का जवाब नहीं मिला। जिस कारण इस मामला को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
संजय दुबरी टाइगर रिजर्व के उक्त शावक बाघों को वीएचएफ रेडियो कॉलर कराए जाने के लिए वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 12 बी के तहत आवश्यक अनुमति देने के लिए संजय टाइगर रिजर्व के क्षेत्र के तत्कालीन संचालक डॉ. दिलीप कुमार ने मुख्य वन संरक्षक भोपाल के पास पत्र लिखा था, जहां से अनुमति मिलने के बाद रेडियो कॉलर लगाने की बात कही जा रही थी, लेकिन आज तक पत्र का जवाब नहीं मिला। जिस कारण इस मामला को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
घट गई बाघों की संख्या
संजय टाइगर रिजर्व में एक समय बाघों की संख्या 16 से ज्यादा पहुंच गई थी, किंतु इस समय यहां महल 12 बाघ बचे हैं। संजय टाइगर रिजर्व में बाघों के मरने का सिलसिला चालू है। गत वर्ष बाघिन का शिकार हो गया। उसके तीन शावक भी बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में शिफ्ट कर दिए गए। जिससे चार बाघ कम हो गए। अधिकारियों का दावा था कि इन्हें जल्द वापस बुला लेंगे, किंतु उनकी भी मौत हो गई।
संजय टाइगर रिजर्व में एक समय बाघों की संख्या 16 से ज्यादा पहुंच गई थी, किंतु इस समय यहां महल 12 बाघ बचे हैं। संजय टाइगर रिजर्व में बाघों के मरने का सिलसिला चालू है। गत वर्ष बाघिन का शिकार हो गया। उसके तीन शावक भी बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में शिफ्ट कर दिए गए। जिससे चार बाघ कम हो गए। अधिकारियों का दावा था कि इन्हें जल्द वापस बुला लेंगे, किंतु उनकी भी मौत हो गई।
सबसे उम्रदराज बाघ की हो चुकी है मौत
बाघों के कुनबे में सबसे उम्रदराज बाघ टी-005 था। वर्ष 2015 में बाघ एसडी 005 से टेरिटोरियल फाइट हुई थी, जिसमें उसकी मौत हो गई। वहीं एक बाघिन की नामकरण से पहले जनवरी 2017 में मौत हो गई थी, सात शावक थे।
बाघों के कुनबे में सबसे उम्रदराज बाघ टी-005 था। वर्ष 2015 में बाघ एसडी 005 से टेरिटोरियल फाइट हुई थी, जिसमें उसकी मौत हो गई। वहीं एक बाघिन की नामकरण से पहले जनवरी 2017 में मौत हो गई थी, सात शावक थे।
बाघों का नहीं मिलता लोकेशन
बाघ व शावक टाइगर रिजर्व के बफर जोन में हैं। पर उनकी नियमित लोकेशन ट्रेस नहीं होती है। कई बार महीना गुजर जाता है, बाघों का पता नहीं चलता। टाइगर रिजर्व को भी नहीं मालूम कि वे सुरक्षित हैं या नहीं।
बाघ व शावक टाइगर रिजर्व के बफर जोन में हैं। पर उनकी नियमित लोकेशन ट्रेस नहीं होती है। कई बार महीना गुजर जाता है, बाघों का पता नहीं चलता। टाइगर रिजर्व को भी नहीं मालूम कि वे सुरक्षित हैं या नहीं।