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छात्र के बीमार होने पर फोन से सूचना के बाद नहीं पहुंचे अधीक्षक तो आधी रात समस्या सुनाने कलेक्टर-एसडीएम के आवास पहुंच गए छात्रावास के बच्चे

छात्रावासों में नहीं रहते अधीक्षक, समस्या आने पर किससे कहें छात्र, छात्रावासों में मनमानी का आलम, विद्यालयों के साथ छात्रावासों का भी प्रभार शिक्षकों को, दोनो जगह प्रभावित हो रही व्यवस्थाएं

सीधीJan 22, 2020 / 07:57 pm

Manoj Kumar Pandey

When the superintendent did not reach after getting information from t

When the superintendent did not reach after getting information from t

सीधी। जिले के छात्रावासों में मनमानी का आलम चल रहा है। नियमानुसार छात्रावास के अधीक्षक को छात्रावास में ही रहना चाहिए ताकि रात्रि के समय छात्रावासी बच्चों को किसी प्रकार की समस्या होने पर वह तत्काल उपलब्ध हो सकें। लेकिन जिला मुख्यालय से लेकर ग्रामीण अंचलों तक के छात्रावासों में मनमानी का आलम व्याप्त है, जिससे छात्रावासी बच्चों को रात में अक्सर परेशान होना पड़ता है।
कुछ इसी तरह की समस्या स्थानीय शहर के अर्जुन नगर मुहल्ला स्थित अनुसूचित जाति सीनियर बालक छात्रावास क्रमांक-१ सीधी में उस समय उत्पन्न हुई जब रविवार की रात करीब 9.30 बजे छात्रावास का बच्चा विक्रमादित्य जायसवाल अचानक बीमार पड़ गया, बच्चे के बीमार होने पर उसके अन्य साथी परेशान हो गए, बच्चों द्वारा दूरभाष पर छात्रावास अधीक्षक ओमप्रकाश साहू को जानकारी दी गई, लेकिन अधीक्षक ने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि अब रात हो गई है क्या करें, सुबह आकर देखेंगे। छात्रावास अधीक्षक के इस जवाब से बच्चे नाराज हो गए और बीमार बच्चे को किसी तरह प्राथमिक उपचार सुविधा उपलब्ध कराने के बाद एक दर्जन से अधिक बच्चे रात करीब 11.30 बजे कलेक्टर आवास पर पहुंच गए, जहां पता चला कि कलेक्टर छुट्टी पर हैं तब वह एसडीएम गोपद बनास नीलांबर मिश्रा के आवास गए जहां समस्या एसडीएम को सुनाई, जिस पर एसडीएम ने भी सुबह अधीक्षक पर कार्रवाई का आश्वासन देकर बच्चों को वापस कर दिया।
छात्रावासों में नहीं रहते अधीक्षक-
विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार छात्रावास अधीक्षकों को छात्रावास में ही रहने का प्रावधान है, लेकिन जिला मुख्यालय सहित जिले के ग्रामीण अंचलो में स्थित छात्रावासों का आलम यह है कि यहां छात्रावास में अधीक्षक नहीं रहते, वहां केवल भृत्य निवास करते हैं, जो रात्रि में किसी तरह की समस्या होने पर समाधान नहीं कर पाते। रात में किसी प्रकार की समस्या होने पर अधीक्षकों का फोन भी नहीं उठता, यदि किसी तरह फोन उठ भी गया तो वह रात्रि के समय छात्रावास में जाना उचित नहीं समझते।
अधीक्षक के साथ ही विद्यालयों का भी प्रभार-
जिले के आदिवासी विकासखंड कुसमी अंचल सहित अन्य विकासखंडों में संचालित छात्रावासों का आलम यह है कि यहां शिक्षकों को ही छात्रावास अधीक्षकों का भी नियम विरूद्ध तरीके से प्रभार दे दिया गया है, विद्यालय और छात्रावास दोनो का प्रभार होने के कारण शिक्षक कहीं भी अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन सही तरीके से नहीं कर पा रहे हैं। खास बात यह है कि ऐसी स्थिति में अधीक्षक छात्रावास मे रह भी नहीं पाते। दोहरे प्रभार की स्थिति जिले में करीब तीस फीसदी से अधिक छात्रावासो में है।
……रविवार की रात हमारा एक साथी बीमार पड़ गया था, जिसकी सूचना हम मोबाइल से अधीक्षक को दिए तो वह आने से मना कर दिए बोले सुबह आकर देखेंगे। तब हम लोग कलेक्टर आवास गए जहां कलेक्टर के न मिलने पर एसडीएम गोपद बनास से मिलकर समस्या बताई, लेकिन यहां कोई नहीं आया।
कृष्ण कुमार साकेत, छात्र
छात्रावास में किसी प्रकार की सुविधाएं नहीं है, शौंचालय खराब है, सुबह का नास्ता भी नहीं दिया जाता। रात में अधीक्षक नहीं रहते, किसी प्रकार की समस्या आने पर हमे परेशान होना पड़ता है।
दिनेश प्रजापति, छात्र
……..छात्रावास में अधीक्षक सुबह शाम आते हैं, कभी-कभी आते भी नहीं है, यहां हम लोगों को पर्याप्त सुविधाएं भी नहीं दी जा रही हैं। छात्रावास अधीक्षक यदि छात्रावास में ही रहें तो हमें परेशान न होना पड़े।
रामावतार प्रजापति, छात्र
छात्र को आती है मिर्गी-
जो छात्र रात में बीमार पड़ा था, उसे मिर्गी आती है, उसके माता-पिता को भी बीमारी मालुम है, उसका बाहर इलाज भी चल रहा है। जब मुझे जानकारी दी गई तो पता चला कुछ देर में बच्चा ठीक हो गया था। इसलिए मैं नही आया। जहां तक बात छात्रावास में रहने की है तो वहां अधीक्षक भवन काफी जर्जर है इसलिए किराए का कमरा लेकर रहता हूं।
ओमप्रकाश साहू, अधीक्षक

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