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सीकर

सावधान! आपके फोन में कोई ताक-झांक तो नहीं कर रहा

यदि आपके मोबाइल पर किसी भी तरह का लिंक आ रहा है, तो उसे नहीं खोलें। कहीं ऐसा न हो, जरा सी गलती से आपका मोबाइल किसी अनजान व्यक्ति के नियंत्रण में आ जाए। हो सकता है वह अनजान व्यक्ति आपकी जासूसी कर रहा हो। इंटरनेट पर इन दिनों स्पाइइंग ऐप की बाढ़ सी आ गई है।

सीकरNov 01, 2019 / 05:57 pm

Bhagwan

Cyber ​​thug

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सीकर. यदि आपके मोबाइल पर किसी भी तरह का लिंक आ रहा है, तो उसे नहीं खोलें। कहीं ऐसा न हो, जरा सी गलती से आपका मोबाइल किसी अनजान व्यक्ति के नियंत्रण में आ जाए। हो सकता है वह अनजान व्यक्ति आपकी जासूसी कर रहा हो। इंटरनेट पर इन दिनों स्पाइइंग ऐप की बाढ़ सी आ गई है। 10 डॉलर से 100 डॉलर प्रतिमाह के बीच चार्ज करने वाली इन हिडन ऐप के जरिए मोबाइल में घुसपैठ की जा रही है। सायबर विशेषज्ञों का कहना है कि इंटरनेट पर कई स्पाइइंग ऐप हैं, जिनके जरिए कोई आपकी हर गतिविधि पर नजर रख सकता है। विशेषज्ञों के पास इस तरह के कई केस आ रहे हैं, जिसमें व्यक्ति अपने साथी पर नजर रखने के लिए उसके मोबाइल में इस तरह के ‘हिडन ऐप’ डलवा रहे हैं। सायबर विशेषज्ञ कहते हैं, कोई अपने बिजनेस पार्टनर की तो कोई पत्नी पर ऐप के जरिए नजर रख रहा है। इसके लिए लोग ऐप प्रोवाइडर(साइबर अपराधी) को अच्छा खासा रुपया भुगतान कर रहे हैं। ऐप प्रोवाइडर की वेबसाइट पर अकाउंट बनने के बाद एक एपीके फाइल दूसरे व्यक्ति (जिसकी जासूसी करनी है) के फोन में डालकर उस फोन का कंट्रोल दूसरे के हाथ चला जाता है। एक्सेस करने के हिसाब से अपराधी रुपए लेते हैं। मसलन किसी व्यक्ति को सिर्फ कॉल डिटेल चाहिए तो कम पैसे लगेंगे, ज्यादा डिटेल जैसे कैमरे, वॉट्सऐप आदि का एक्सेस लेता है तो ज्यादा पैसा देना पड़ता है। ये ऐप इतने खतरनाक हैं कि बिना यूजर की इजाजत के उसके फोन की बातचीत सुनी जा सकती है।
विदेशों में होते हैं सर्वर

सायबर विशेषज्ञों का कहना है कि इन ऐप प्रोवाइडर्स के सर्वर ऐसे देशों में होते हैं, जिनके पास मजबूत साइबर कानून नहीं है मसलन रूस और नाइजीरिया।
एंटीवायरस को कर जाता है बायपास
इन ऐप का कोड इतनी सफाई से लिखा होता है कि यह एंटीवायरस तक को बायपास कर जाता है। फोन रूट होने की स्थिति में एक बार डल जाए तो फिर हटना संभव नहीं है।
कैसे डालते हैं ऐप

– कई बार यदि परिचित फोन को कुछ सैकंड के लिए लेकर।
– ई कॉमर्स साइट्स पर मुफ्त खरीदारी का झांसा देते हुए लिंक भेजकर।
– इनकम टैक्स रिफंड का लिंक भेज कर भी ऐसी ऐप्स को इनस्टॉल करवा लिया जाता है।
– बहुत बार इन्हें डालने के लिए ऐप बाइंडिंग का सहारा लिया जाता है।
&एक्सपर्ट व्यूप्राइवेसी और सुरक्षा की दृष्टि से एंड्रॉयड बेहद कमजोर ऑपरेटिंग सिस्टम है। इस बार किसी ऐप को एक्सेस दे दिया तो उससे डेटा बचाना बेहद मुश्किल हो जाता है। इंटरनेट पर दर्जनों स्पाइइंग ऐप मौजूद हैं, जो पैकेज के अनुसार अपना काम करती हैं। यूजर फोन में एन्टीस्पाइवेयर रखे और थर्ड पार्टी ऐप इनस्टॉल बंद कर दे तो काफी मदद मिल सकती है। साथ ही टेक्स्ट मैसेज हर ई-मेल पर आए आवश्यक लिंक को क्लिक करने से बचें।
आयुष भारद्वाज, सायबर सुरक्षा विशेषज्ञ

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