विदेशों में होते हैं सर्वर सायबर विशेषज्ञों का कहना है कि इन ऐप प्रोवाइडर्स के सर्वर ऐसे देशों में होते हैं, जिनके पास मजबूत साइबर कानून नहीं है मसलन रूस और नाइजीरिया।
एंटीवायरस को कर जाता है बायपास
इन ऐप का कोड इतनी सफाई से लिखा होता है कि यह एंटीवायरस तक को बायपास कर जाता है। फोन रूट होने की स्थिति में एक बार डल जाए तो फिर हटना संभव नहीं है।
कैसे डालते हैं ऐप – कई बार यदि परिचित फोन को कुछ सैकंड के लिए लेकर।
– ई कॉमर्स साइट्स पर मुफ्त खरीदारी का झांसा देते हुए लिंक भेजकर।
– इनकम टैक्स रिफंड का लिंक भेज कर भी ऐसी ऐप्स को इनस्टॉल करवा लिया जाता है।
– बहुत बार इन्हें डालने के लिए ऐप बाइंडिंग का सहारा लिया जाता है।
&एक्सपर्ट व्यूप्राइवेसी और सुरक्षा की दृष्टि से एंड्रॉयड बेहद कमजोर ऑपरेटिंग सिस्टम है। इस बार किसी ऐप को एक्सेस दे दिया तो उससे डेटा बचाना बेहद मुश्किल हो जाता है। इंटरनेट पर दर्जनों स्पाइइंग ऐप मौजूद हैं, जो पैकेज के अनुसार अपना काम करती हैं। यूजर फोन में एन्टीस्पाइवेयर रखे और थर्ड पार्टी ऐप इनस्टॉल बंद कर दे तो काफी मदद मिल सकती है। साथ ही टेक्स्ट मैसेज हर ई-मेल पर आए आवश्यक लिंक को क्लिक करने से बचें।
आयुष भारद्वाज, सायबर सुरक्षा विशेषज्ञ