सैकंड हैंड स्मोकिंग खतरनाक
रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में घर पर ही रहने वाली 95 लाख महिलाएं व 91 लाख पुरुष सेकंड हैन्ड स्मोकिंग के शिकार होते हैं। जिनमें ग्रामीण स्तर पर सेकंड हैन्ड स्मोकिंग का शिकार होने वालों की संख्या अधिकतम हैं शहरी क्षेत्र की कच्ची बस्तीयों में सेकंड हैन्ड स्मोकिंग के शिकार अधिक होते हैं। पैसिव स्मोकिंग (सैकंड हेंड स्मोकिंग ) का मतलब है कि धूम्रपान नहीं करने वाले वे लोग जो किसी धूम्रपान करने वाले व्यक्ति की ओर से किए गए धूम्रपान के जरिए छोड़े गए धुएं में ही सांस ले रहे होते हैं। जो लोग धूम्रपान के धुएं की चपेट में आ जाते हैं उन्हें सांस की बीमारी हो जाती है।
सीकर में रोजाना दो करोड़ खर्च
सर्वे रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में 68 लाख लोग चबाने वाले तम्बाकू का उपभोग करते हैं। 55 लाख लोग बीड़ी व 13 लाख लोग सिगरेट पीते हैं। प्रदेश के 96.3 प्रतिशत पुरुषों व 95 प्रतिशत महिलाओं को चबाने वाले तम्बाकू से होने वाले नुकसान के बारे में जानकारी है। 94.8 प्रतिशत पुरुषों व 94.4 प्रतिशत महिलाओं को धूम्रपान से होने वाले दुष्प्रभावों का पता है। इसके बावजूद प्रदेश में सबसे ज्यादा जयपुर में हर माह 165 करोड़ रुपए और हर साल 2011 करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं। सीकर में तम्बाकू उत्पादों पर रोजाना दो करोड़ 39 लाख 95 हजार 550 रुपए हर माह 72 करोड़ और एक साल में 876 करोड़ खर्च किए जाते हैं।
बच्चों में ज्यादा खतरा
चिकित्सकों के अनुसार आमतौर पर परिजन सोचते हैं कि घर से बाहर जाकर धुम्रपान करने से परिवार के बच्चे पैसिव स्मोकिंग से बचे रहेंगे लेकिन हकीकत यह है कि धूम्रपान करने वाले अभिभावकों के घरों में सांस लेने वाली हवा में खतरनाक स्तर का निकोटीन पाया जाता है। निकोटीन के ये नुकसानदेह तत्व कपड़ों और अन्य सामान में भी चिपके रहते हैं। जिससे पूरा वातावरण ही प्रभावित हो जाता है। जिससे कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले बच्चों को नुकसान ज्यादा होता है।
बीडी पर हर माह 423 रुपए
गेट्स और एनफएचएस के सर्वे व अध्ययन के अनुसार प्रदेश में बीड़ी पीने वाला व्यक्ति प्रतिमाह 423 रुपए खर्च करता है वहीं 112 करोड़ रुपए सिगरेट पर खर्च होते हैं। प्रदेश में तम्बाकू उपभोगकर्ता प्रतिदिन 61 करोड़, प्रतिमाह 1820 करोड़ खर्च करते हैं। तम्बाकू उत्पादों से प्रदेश में प्रतिवर्ष 88000 मौतें होती हैं अर्थात रोजाना 240 लोग तम्बाकू जनित बीमारियों से मरते हैं। प्रदेश में रोजाना 350 युवा तम्बाकू का उपभोग शुरू करते हैं।
रिपोर्ट के आंकड़े भयावह
जिला तम्बाकू रोजाना प्रतिमाह सालाना उपभोगकर्ता खर्च खर्च खर्च
झुुंझुनूं 3,92,657 1,96,32,850 58.9 715
बारां 2,20,407 1,10,20,350 33 401
बूंदी 2,03,422 1,01,71,100 30.3 368.65
कोटा 3,30,315 1,65,15,750 49.50 602
सीकर 4,79,911 2,39,95,550 72 876
जोधपुर 6,05,338 3,02,66,900 90.6 1102
अलवर 7,47,076 3,73,53,800 3.73 1361
दौसा 2,86,174 1,43,08,700 43 522
जयपुर 11,02,575 5,51,28,750 165 2011
अजमेर 4,44,339 2,22,16,950 66.6 810
बाड़मेर 4,29,029 2,14,51,450 64.2 781
भीलवाड़ा 4,36,151 2,18,07,550 65.4 796
बीकानेर 3,79,562 1,89,78,100 57 693.5
चुरू 3,46,423 1,73,21,150 52 631
हनुमानगढ़ 3,30,755 1,65,37,750 49.5 602
जैसलमेर 1,09,631 54,81,550 .55 201
सिरोही 1,79,094 89,54,700 0. 27 328.5
श्री गंगानगर 3,65,225 1,82,61,250 1.83 668
टोंक 2,57,399 1,28,69,950 1.29 471
इनका कहना है
प्रदेश में दो साल तक लगातार किए गए सर्वे के बाद तैयार रिपोर्ट के आंकड़े भयावह है। प्रदेश सरकार का तम्बाकू मुक्त राजस्थान अभियान सफलता तभी होगा जब नए तम्बाकू उपभोगकर्ताओं में कमी आए।
राजन चौधरी, सामाजिक कार्यकर्ता